Vijaya Ekadashi vrat: साल में कुल मिलाकर 24 एकादशी पड़ती हैं। वहीं हर महीने में 2 एकादशी मनाई जाती हैं। इन्हीं एकादशी में से एक है विजया एकादशी। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। लोगों की मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने पर अपने शत्रुओं पर विजय मिल जाती है। विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। आइए जानते है पूजा तिथि कब है और विधि के अनुसार पूजा कैसे करें।
आज है विजया एकादशी तिथि
हिंगू पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 6 मार्च, बुधवार सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 7 मार्च की सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के वजह से विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च के दिन ही रखा जाएगा। 6 मार्च को ही भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी।
विजया एकादशी की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहने। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प ले। इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य देकर मंदिर की सफाई करें। इस दिन एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाया जाता है। इसी चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखी जाती है। इसके बाद श्रीहरि को फूल, धूप, दीप और फल आदि अर्पित किए जाते हैं। भक्त फिर भगवान विष्णु आरती की आरती के साथ भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी करते है। भक्त भगवान विष्णु चालीसा का पाठ भी करते हैं। इसके बाद पंचामृत में तुलसी का पत्ता डालकर भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता है।
इस दिन ना तोड़े तुलसी
भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता अति प्रिय है। भगवान विष्णु के हर पूजा में तुलसी को जरूर शामिल करना चाहिए। एकादशी की पूजा में तुलसी को सामग्री में सम्मिलित करना शुभ माना जाता है। लेकिन इस दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने से बचें। इसके बजाए आप एक दिन पहले ही तुलसी का पत्ता तोड़कर रख ले। इस दिन भक्त अपनी मनोकामनाएं भगवान विष्णु से कहते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वरदान मांगते हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)