What Happened to Hastinapur after Mahabharat : हिंदू धर्म में महाभारत एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें हस्तिनापुर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। इसमें द्वापर युग की घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है। महाभारत के युद्ध के बारे में हम सभी बचपन से ही पढ़ते आ रहे हैं, जो भाइयों के बीच लड़ी गई थी। 18 दिनों तक चलने वाली इस लंबी लड़ाई में महान योद्धाओं का योगदान रहा, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे। उनके ध्वज तले यह युद्ध लड़ा गया और अंत में धर्म की विजय हुई।
युद्ध में जीत के उपरांत धर्मराज युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया। जिसे अच्छी तरह से संभालते हुए उन्होंने न्यायपूर्ण राज्य की स्थापना की। युद्ध के बाद हस्तिनापुर में लोगों ने शांति से अपने जीवन को व्यतीत किया।
हस्तिनापुर का क्या हुआ?
अपने जीवनकाल को पूरा करने के बाद पांचों पांडव हस्तिनापुर त्याग कर स्वर्ग की यात्रा पर निकल गए। वहीं, द्वारकाधीश श्रीकृष्ण भी अपने धाम को चले गए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, पांडवों के बाद हस्तिनापुर का क्या हुआ?
चंद्रगुप्त मौर्य ने किया अधीन
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, पांडवों के बाद हस्तिनापुर को चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने अधीन कर लिया। इसके बाद यहां पांडवों का साम्राज्य समाप्त हो गया और एक नए युग की शुरुआत हुई। जब चंद्रगुप्त मौर्य ने नया शासनकाल शुरू किया और एक नए साम्राज्य की स्थापना की। मौर्य वंश के शासनकाल में हस्तिनापुर समृद्धि के शिखर पर पहुंचा। सम्राट अशोक के समय यह व्यापार और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका था।
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