Sri Krishna Sudarshan Chakra: हमारे धार्मिक परंपराओं में देवी देवताओं के शस्त्र धारण का विशेष महत्व है, जो उनके कार्य और शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इन्हीं में से भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र सबसे प्रसिद्ध प्रभावशाली शस्त्र है। इसे सबसे विनाशकारी अस्त्रों में से एक माना जाता है।
जिसका उपयोग भगवान कृष्ण ने अधर्मियों का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए किया पुरानी कथाओं में सुदर्शन चक्र का विशेष उल्लेख मिलता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि भगवान कृष्ण को यह चक्र कैसे और किसके द्वारा प्राप्त हुआ।
भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र प्राप्ति की दिव्य कथा
मान्यताओं के अनुसार यह दिव्य चक्र स्वयं भगवान विष्णु के पास था। जिन्होंने इसे अपने अवतार के रूप में भगवान श्री कृष्ण को सौंपा था। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र को महान ऋषि परशुराम से प्राप्त किया था।
जिन्होंने से कठिन तपस्या के बल पर पाया था। यह माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने धरती पर धर्म की स्थापना और धर्म के नाम का संकल्प किया, तो सुदर्शन चक्र उन्हें सहायक बनने के लिए प्रदान किया गया।
सुदर्शन चक्र का शिव पुराण में वर्णन
शिव पुराण, युद्ध संहिता के अनुसार भगवान विष्णु के दिव्य अस्त्र सुदर्शन चक्र का निर्माण स्वयं भगवान शिव ने किया था। जिसे उन्होंने भगवान विष्णु को सौंपा दिया था। कथा के अनुसार जब दैत्यों का अत्याचार बढ़ा और देवता और उनकी शक्ति के सामने असहाय हो गए, तो वे भगवान विष्णु की शरण में गए। तब भगवान विष्णु ने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की कठिन आराधना की और उन्हें प्रसन्न करने के लिए हजार कमल पुष्प अर्पित किए।
सुदर्शन चक्र की प्राप्ति
भोलेनाथ ने विष्णु की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक पुष्प छिपा दिया। पुष्प की कमी को पूरा करने के लिए विष्णु ने अपनी एक आंख अर्पित कर दी। जिससे शिवजी प्रसन्न हो गए और उन्होंने सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को भेंट दिया।
यह चक्र फिर माता पार्वती आने देवताओं और परशुराम से होता हुआ भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचा। जिन्होंने इस अधर्म का नाश करने और धर्म के स्थापना के लिए उपयोग किया। इससे चक्र सुदर्शन चक्र विष्णु के स्वरूप का अभिन्न अंग बन गया।