चैत्र के पहले नवरात्र से क्यों होती है हिन्दू नववर्ष की शुरूआत

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भोपाल। हिन्दू धर्म में यूं तो साल में चार बार नवरात्रि पड़ती है| लेकिन इसमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सबसे प्रमुख माना जाता है| बाकि की दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होती हैं| जिसके बार में ज्यादा लोगों को नहीं मालूम है, चैत्र नवरात्रि की बात करे, तो हिन्दु मान्यताओं के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही नववर्ष की शुरूआत होती है| इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है…..इसी दिन से सूर्य , भचक्र की पहली राशि मेष में प्रवेश करता है..

इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 6 अप्रैल यानि शनिवार से है…. नौ रातों तक चलने वाले इस त्यौहार में हर दिन मां भगवती के एक अलग स्वरूप को पूजा जाता है,…..वैसे भी कहा जाता है नवरात्र यानि मां के नौ दिन और ये वो 9 दिन हैं जो केवल देवी को ही समर्पित रहते हैं…. 

इसलिए माना जाता है नववर्ष 

पौराणिक मान्यताओं की माने तो सृष्टि के आरंभ के समय चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन पर ही देवी ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना करने का कार्यभार सौंपा था। इसलिए यह दिन सृष्टि के निर्माण का दिन माना जाता है। मान्यता है कि यह दिन समस्त जगत के आरंभ का दिन है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, इस तिथि पर ही देवी मां ने देवी-देवताओं के कार्यों का बंटवारा किया था और तत्पश्चात सभी ने अपना काम संभालते हुए सृष्टि के संचालन के लिए शक्ति और आशीर्वाद मांगा था। इसी के चलते चैत्र नवरात्र से हिंदू वर्ष का आरंभ माना जाता है।


इन 9 दिनों में होती है देवी के इन रूपों की पूजा 

पहला नवरात्र – शैलपुत्री

दूसरा नवरात्र – ब्रह्मचारिणी

तीसरा नवरात्र – चंद्रघंटा

चौथा नवरात्र – कुष्मांडा

पांचवा नवरात्र – स्कंदमाता

छठा नवरात्र – कात्यायनी

सातवां नवरात्र – कालरात्रि

आठवां नवरात्रि – महागौरी

नवा नवरात्र – सिद्धिदात्री

नवरात्र के पहले दिन साधक अपने घरों में कलश की स्थापना पूरे विधि-विधान से करते हैं….और नवमी पर बाल कन्याओं की पूजा उन्हे हलवे, पूरी का भोग लगाकर नवरात्र व्रत का उद्यापन किया जाता है|


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