इस शुभ मुहूर्त पर करें देवउठनी एकादशी की पूजा, भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी रहेगी विशेष कृपा

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, ध्यान और सेवा से भक्तों की आत्मिक उन्नति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए यह एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

Dev Uthani Ekadashi 2023 : देवउठनी एकादशी को 24 एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, ध्यान और सेवा से भक्तों को पुण्य प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति की आत्मिक उन्नति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए यह एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। साथ ही इसे उत्तम व्रत में से एक के रूप में जाना जाता है। वहीं, इस बार यह पर्व 23 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन इस शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है। आइए विस्तार से जानें यहां…

इस शुभ मुहूर्त पर करें देवउठनी एकादशी की पूजा, भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी रहेगी विशेष कृपा

शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी का व्रत 22 नवंबर 2023 रात 11:03 पर शुरू होगा और 23 नवंबर 2023 रात 09:01 पर समाप्त होगा।

पारण समय

देवउठनी एकादशी का पारण समय 24 नवंबर 2023, शुक्रवार को सुबह 06.51 से सुबह 08.57 मिनट तक कर लें. इस दिन द्वादशी तिथि रात 07.06 मिनट पर समाप्त होगी।

महत्व

देवउठनी एकादशी को ‘प्रबोधिनी एकादशी’ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उनकी ‘शयन आवस्था’ से जागरण होती है, जिसे ‘देव उठना’ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को जगाने के लिए लोग उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यह एकादशी व्रत धर्मिकता, आध्यात्मिकता, और साधना की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। वहीं, इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप की मूर्ति को तुलसी माता से विवाह कराया जाता है।

पूजा विधि

  • पूजन के लिए पूजा सामग्री जैसे कि फूल, गंध, दीप, नैवेद्य, धूप, बत्ती, फल, निर्जला व्रत के लिए पानी आदि की तैयारी करें।
  • आप निर्जला व्रत रख सकते हैं।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने पूजन करें।
  • प्रारंभ में गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।
  • जिसके बाद फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी पत्ते और गंगाजल के साथ भगवान की आराधना करें।
  • फिर भगवान विष्णु के भजन गाएं और उनके स्तोत्र पढ़ें।
  • अंत में पूजा का प्रसाद सभी को बांटें और भगवान का आर्शिवाद लें।

भगवान विष्णु के मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ नमो नारायणाय
  • ॐ विष्णवे नमः
  • श्रीमन्नारायणो देवो

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)