नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सौरव गांगुली (Sourav Ganguly)जो भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। इन दिनों बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद चर्चा में बने हुए हैं। यह कहा जा रहा है कि उन्हें अवैध रूप से इस पद से हटाया गया है। अब उन्हें हटाए जाने का यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है। कोलकाता की हाईकोर्ट में एक वकील ने जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई किए जाने की बात कही जा रही है।
सभी जानते हैं कि बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से सौरव गांगुली की विदाई कर दी गई है। उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटाए जाने की इस बात पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सवाल उठाते हुए खुद पीएम मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की बात कही थी।
सौरव गांगुली के अध्यक्ष पद का कार्यकाल इस साल खत्म हो गया, जिसके बाद उन्हें नया मौका नहीं दिया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक कोई भी अधिकारी राज्य संगठन में 6 साल और बोर्ड में भी 6 साल तक पद संभाल सकता है। इस नियम के मुताबिक सौरव के पास बीसीसीआई अध्यक्ष पद संभालने के लिए अभी 3 साल का समय बाकी था। लोगों का कहना है कि सौरव को गलत तरीके से पद से हटाया गया है, जबकि जय शाह अभी भी सचिव पद पर काबिज है।
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कोलकाता के वकील रामप्रसाद ने सौरव गांगुली को बीसीसीआई पद से हटाए जाने की बात पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में केस दर्ज करवाया है। उन्होंने याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बारे में बात करते हुए कहा है कि सौरव को पद से हटाए जाने में जो फैसला सुनाया गया था उस का ठीक से पालन नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि अगर जय शाह को फिर से बोर्ड में लिया जा सकता है तो सौरव गांगुली को बोर्ड में क्यों नहीं रखा जा सकता। याचिका में यह सवाल भी किया गया है कि क्या राजनीतिक कारणों की वजह से यह फैसला लिया गया है। जानकारी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति भारद्वाज की खंडपीठ इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने वाली है।