सरफराज खान ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में किया कारनामा, ऐसा करने वाले बने तीसरे भारतीय बल्लेबाज

भारत के लिए टेस्ट डेब्यू करने वाले सरफराज खान को क्रीज पर आए। इस दौरान सरफराज ने डेब्यू मैच में ही उपलब्धि हासिल कर ली है।

Shashank Baranwal
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Sarfaraz Khan

India vs England: राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम इंग्लैंड और भारत के बीच तीसरा टेस्ट मुकाबला खेला जा रहा है। जहां पहले दिन का खेल खत्म होने तक क्रीज पर रविंद्र जड़ेजा और कुलदीप यादव बने हुए हैं। इस मैच में रोहित शर्मा ने कप्तानी पारी खेलते हुए शानदार शतक जड़ा। रोहित के आउट होने के बाद भारत के लिए टेस्ट डेब्यू करने वाले सरफराज खान को क्रीज पर आए। इस दौरान सरफराज ने डेब्यू मैच में ही उपलब्धि हासिल कर ली है। आइए जानते हैं विस्तार से…

हार्दिक पांड्या की बराबरी की

सरफराज खान ने इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम के लिए अपना डेब्यू मैच खेला। इस दौरान सरफराज ने 48 गेंदों में ही अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। साथ ही 66 गेंदों में 1 छक्के और 9 चौके की मदद से 62 रनों की पारी खेली। इस पारी के बदौलत सरफराज ने हार्दिक पांड्या की बराबरी कर ली। गौरतलब है कि पांड्या ने साल 2017 में श्रीलंका के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू मैच खेला था, जिसमें 48 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया था।

पृथ्वी शॉ और शिखर धवन को छोड़ा पीछे

इसके साथ ही सरफराज खान ने अपने टेस्ट डेब्यू मैच में ही पृथ्वी शॉ और शिखर धवन को पीछे छोड़ दिया है। बता दें शिखर धवन ने साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 50 गेंदों में अर्धशतकीय पारी खेली थी। जबकि पृथ्वी शॉ ने साल 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 56 गेंदों मे अर्धशतकीय पारी खेली थी। वहीं दोनों को खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज अर्धशतक बनाने वाले संयुक्त रूप में सरफराज खान तीसरे खिलाड़ी बन चुके हैं।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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