नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। टोक्यो ओलंपिक में भारत के स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने जेवलिन थ्रो फाइनल (Javelin throw final) मुकाबला जीतकर इतिहास रच दिया है। नीरज ने भाला फेंक में देश को ओलंपिक 2020 में पहला गोल्ड मेडल (Gold Medal) दिलाया है। उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 87.58 मीटर का है। उन्होने पहले अटैम्प्ट में 87.03 मीटर और दूसरे अटैम्प्ट में 87.58 मीटर दूर भाला फेंका। तीसरे प्रयास में नीरज ने 76.79 मी. दूर भाला फेंका। तीनों प्रयास के बाद भारत के नीरज चोपड़ा टॉप पर चल रहे थे। पहले राउंड में 12 खिलाड़ियों से 8 ने अगले दूसरे और फाइनल राउंड में जगह बनायी थी। आज मिले गोल्ड के साथ ही इस ओलंपिक में भारत के खाते में 7 मेडल आ गए हैं जिनमें 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 कांस्य पदक जीते हैं।
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आज ओलंपिक का आखिरी दिन था और इसका अंत बेहद शानदार रहा। भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता है और इसी के साथ वो ओलिंपिक की व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में सोना जीतने वाले इतिहास के दूसरे और एथलेटिक्स में ये कारनामा करने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं। इससे पहले 2008 में बीजिंग ओलंपिक में शूटर अभिनव बिंद्रा ने पहली बार स्वर्ण पदक जीता था। भारत ने तेरह साल बाद ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है। इस मौके पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, खेल मंत्री हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित देशभर से उन्हें बधाई और शुभकामनाएं मिल रही है।
आपको बता दें एथलेटिक्स में गोल्ड के लिए देश को पूरे 121 साल का इंतजार करना पड़ा। भारत को गोल्ड दिलाने वाले नीरज चोपड़ा का सफर भी आसान नहीं था। पानीपत जिले के खंदरा गांव के रहने वाले नीरज ने अपने सफर का सपना तब देखा था जब वह मात्र 11 साल के थे और उन्होंने एथलीट जय चौधरी को पानीपत के स्टेडियम में प्रैक्टिस करते हुए देखा था। किसान परिवार में जन्मे नीरज के पिता सतीश कुमार, माता सरोज देवी और दो बहनों के लाड़ प्यार की वजह से नीरज का वजन मात्र 11 साल की उम्र में 80 किलो हो गया था। मक्खन और घी से बने चूरमे के शौकीन 11 साल के नीरज का खेल सफर पानीपत के मैदान में वजन कम करने की कवायद से शुरू हुआ। तब किसी को यह अंदाज़ा भी नहीं था कि मक्खन और चूरमे का शौकीन यह लड़का एक दिन 135 करोड़ भारतवासियों के गोल्ड मेडल के सपने को पूरा करेगा।
नीरज का जेवलिन का सफर 2014 से शुरू हुआ। 2016 में पोलैंड में चल रही वर्ल्ड अंडर 19 चैंपियनशिप में 86.48 मीटर दूरी का भाला फेंक न केवल उन्होंने जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया बल्कि पूरे विश्व में अपने नाम का परचम भी लहराया। 2017 की एशियाई चैंपियनशिप जीतने के बाद नीरज के लिए जैसे रुकावट सी आ गई और वे लगातार बेहतर करने के प्रयास के बावजूद सफल न हो सके। लेकिन पूरी मेहनत और लगन के साथ कोच उवे होन की सरपरस्ती में नीरज ने 2018 में ना केवल वापसी की बल्कि कॉमनवेल्थ गमों में 86.47 मीटर का भाला फेंक गोल्ड मेडल भी हासिल किया। इस गोल्ड के बाद उनका बस एक ही सपना था भारत को ओलंपिक में गोल्ड दिलाना।
2019–2020 जैसे भयावह साल जिसने कोरोना के कारण पूरे विश्व की हिम्मत और ताकत को जमीन पर लाकर पटक दिया, ऐसी स्थिति में भी नीरज ने ना तो अपना आत्मविश्वास खोया न ही अपने खेल में कोई कमी आने दी। आज 121 साल बाद नीरज ने भारतवर्ष के अधूरे सपने को न केवल पूरा किया है बल्कि हर भारतीय को गर्व से भर दिया है।