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Mon, Dec 15, 2025

जयंत चौधरी के बयान से यूपी में सियासी हलचल, बोले- ‘मेरी कुछ बंदिशें हैं, ज्यादा नहीं कह सकता’

Written by:Saurabh Singh
एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग उनकी बातों के निहितार्थ निकाल रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह बयान उनकी गठबंधन सहयोगियों के प्रति असंतोष का संकेत हो सकता हैं।
जयंत चौधरी के बयान से यूपी में सियासी हलचल, बोले- ‘मेरी कुछ बंदिशें हैं, ज्यादा नहीं कह सकता’

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और केंद्रीय कौशल विकास राज्यमंत्री जयंत चौधरी के एक बयान ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है। मुजफ्फरनगर के सावटू गांव में एक कार्यक्रम के दौरान किसानों द्वारा खाद की किल्लत का मुद्दा उठाए जाने पर जयंत ने कहा, “मेरी कुछ बंदिशें हैं, इससे ज्यादा नहीं कह सकता। आप जो कहेंगे, वैसा ही निर्णय होगा।” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे उनकी एनडीए गठबंधन में स्थिति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

जयंत चौधरी शुक्रवार को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर मुजफ्फरनगर के सावटू गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने किसानों से मुलाकात की, जिन्होंने यूरिया की कमी की शिकायत की। जवाब में जयंत ने कहा, “मुजफ्फरनगर के खेत-खलियानों और किसानों पर मेरी नजर है। रालोद का एजेंडा यही है। मैं जो कुछ हूं, आपकी वजह से हूं।” उनके इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, खासकर आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनजर।

गठबंधन सहयोगियों के प्रति असंतोष का संकेत

जयंत के बयान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग उनकी बातों के निहितार्थ निकाल रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह बयान उनकी गठबंधन सहयोगियों के प्रति असंतोष का संकेत हो सकता है, जबकि अन्य इसे किसानों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के रूप में देख रहे हैं। यूपी में कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनावों के कारण यह बयान और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि रालोद का पश्चिमी यूपी में मजबूत जनाधार है।

ग्रामीण खिलाड़ियों को प्रैक्टिस का अवसर

इसके साथ ही, जयंत चौधरी ने सावटू गांव में सांसद निधि से निर्मित एक खेल स्टेडियम का उद्घाटन भी किया। उन्होंने कहा कि यह स्टेडियम ग्रामीण खिलाड़ियों को प्रैक्टिस का अवसर देगा और उनके भविष्य को संवारने में मदद करेगा। उन्होंने कौशल विकास को खेल से जोड़ने का प्रस्ताव भी रखा, जिससे युवाओं को लाभ मिलेगा। हालांकि, उनके बयान ने खेल स्टेडियम के उद्घाटन से ज्यादा सियासी चर्चा बटोर ली है, और अब सबकी नजर इस बात पर है कि इसका राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।