आज, 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 81वीं जयंती है। अमेठी के लोगों के दिलों में उनकी स्मृति आज भी उतनी ही जीवंत है। 20 अगस्त 1944 को जन्मे राजीव गांधी का अमेठी से गहरा और अटूट रिश्ता था। युवा, बुजुर्ग और बच्चे सभी उनके दीवाने थे। प्रधानमंत्री रहते हुए भी उनका दिल अमेठी के लिए धड़कता था, जिसे उन्होंने देश के विकास की प्रयोगशाला बनाया। आज भी उनके नाम का जिक्र होते ही अमेठीवासियों की आंखें नम हो जाती हैं।
1967 में अमेठी संसदीय क्षेत्र के गठन के बाद से राजीव गांधी एकमात्र ऐसे नेता रहे, जिन्होंने लगातार चार बार (1981, 1984, 1989 और 1991) चुनाव जीतकर इतिहास रचा। अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने अमेठी आए राजीव को जनता ने हमेशा सिर-माथे बिठाया। जहां कई बड़े राजनीतिक दिग्गजों को अमेठी की चुनावी रणभूमि में हार का सामना करना पड़ा, वहीं राजीव इस क्षेत्र के अजेय योद्धा बने रहे।
गांव-गांव में लोकप्रिय, बिना प्रोटोकॉल के मिलते थे
राजीव गांधी की लोकप्रियता अमेठी के गांव-गांव और घर-घर में थी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता हनुमंत सिंह और बैजनाथ तिवारी बताते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी राजीव बिना किसी प्रोटोकॉल के लोगों से मिलते थे। उनकी सादगी और जनता से जुड़ाव ने उन्हें अमेठी की राजनीति में अमर कर दिया। कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल के अनुसार, राजीव 1981 में अपने भाई संजय के सपनों को पूरा करने अमेठी आए और फिर यहीं के होकर रह गए।
अमेठी को दी नई पहचान
राजीव गांधी के नेतृत्व में अमेठी विकास की कसौटी पर खरी उतरी। उनके कार्यकाल में बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास हुआ और कारखानों की स्थापना ने अमेठी को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई। कांग्रेस नेता अनुपम पांडेय कहते हैं कि राजीव जी के समय में अमेठी विकास का पैमाना बन गई थी। आज भी अमेठी के लोग उन्हें उनके योगदान और स्नेह के लिए याद करते हैं, और उनकी विरासत इस क्षेत्र में जीवंत बनी हुई है।





