उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की। इस मौके पर उन्होंने प्रदेश की खुशहाली, समृद्धि और जनकल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवर्धन पूजा का पर्व प्रकृति संरक्षण और मनुष्य तथा पशु के बीच के गहरे संबंध का प्रतीक है। यह पर्व हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बने रहने का संदेश देता है।
सीएम धामी ने की गौ माता की पूजा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और वह सनातन संस्कृति तथा कृषि जीवन का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि गौमाता की सेवा केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह आजीविका और आत्मनिर्भरता से भी जुड़ी है। प्रदेश में कई परिवारों की आजीविका गाय पालन और गो-सेवा से चलती है। इसीलिए गाय का संरक्षण समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ सेवा और संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रही है। निराश्रित गोवंश की सुरक्षा के लिए गौ सदनों के निर्माण और संचालन को प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले इन पशुओं के भरण-पोषण के लिए जहां 5 रुपये प्रति पशु प्रतिदिन दिए जाते थे, वहीं अब इसे बढ़ाकर 80 रुपये प्रति पशु प्रतिदिन कर दिया गया है। यह कदम गौशालाओं के संचालन में बड़ी राहत देगा।
गौशालाओं के लिए प्रोत्साहन दे रही सरकार
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार निजी स्तर पर गौशालाओं के निर्माण को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोग गौ संरक्षण में जुड़ सकें। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 54 गौ सदनों का निर्माण कार्य चल रहा है। इन केंद्रों के माध्यम से न केवल निराश्रित गोवंश की देखभाल की जा रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि उत्तराखंड सरकार आगे भी गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर कार्य करती रहेगी। उन्होंने जनता से अपील की कि सभी लोग मिलकर गौमाता की सेवा और सुरक्षा के लिए आगे आएं। इससे न केवल धार्मिक भावनाएं सशक्त होंगी, बल्कि पर्यावरण संतुलन और ग्रामीण जीवन की समृद्धि में भी योगदान मिलेगा।










