नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सोशल मीडिया पर आज #BoycottMarriage ट्रेंड तेजी से चल रहा है। बायकॉट ट्रेंड (Boycott Trend) की जब भी बात आती है तो ऐसा लगता है कि किसी बॉलीवुड स्टार या फिर फिल्म का विरोध किया जा रहा है। लेकिन बायकॉट के आगे लगा यह मैरिज वर्ड थोड़ा हैरान कर देने वाला है। आखिर क्या वजह है जो लोग शादी से दूर भागना चाह रहे हैं और इस तरह के ट्वीट कर रहे हैं। लेकिन यहां माजरा कुछ और ही है।
बता दें कि यह ट्रेंड सोशल मीडिया पर तेजी से इसलिए चलाया जा रहा है क्योंकि केरल हाई कोर्ट के जस्टिस मोहम्मद मुस्ताक का एक कमेंट वायरल किया जा रहा है। ट्वीट और कमेंट की पुष्टि करना मुश्किल है, लेकिन यह सच है कि जस्टिस इससे पहले तलाक के मामले पर कई तरह की टिप्पणी कर चुके हैं।
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ट्वीट में यह जानकारी दी गई है कि हाई कोर्ट जस्टिस ने अपनी बैच में चल रही एक रेप केस की सुनवाई में धारा 376 पर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि 376 में लिंग समानता का प्रावधान नहीं दिया गया है। झूठी शादी का वादा कर अगर कोई महिला पुरुष को धोखा देती है तो उसके खिलाफ केस दर्ज नहीं किया जाता। जबकि कोई पुरुष ऐसा करता है तो उस पर मुकदमा किया जाता है। यह ठीक नहीं है जेंडर न्यूट्रल रखना चाहिए। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर बायकॉट मैरिज ट्रेंड चलाया जा रहा है।
I agree #BoycottMarriage pic.twitter.com/6goMgGsIYh
— Road Runner 🇮🇳 (@iwinfairly) September 10, 2022
इस ट्रेंड पर यूजर्स अलग-अलग रिएक्शन देते हुए अपनी राय रख रहे हैं। एक यूजर ने इस पर सहमति जताते हुए आई एग्री लिखा। वहीं दूसरे यूजर का कहना है कि समानता एक भ्रम है।
Equality is a myth. #MarriageStrike #BoycottMarriage pic.twitter.com/Y5l1hGSbOd
— Dhruv 🇮🇳 (@Dhruv_018) September 10, 2022
एक सोशल मीडिया यूजर ने यह भी लिखा कि बराबरी होना बहुत जरूरी है, कोई महिला ही 9 महीने तक प्रेगनेंट क्यों हो। एक अन्य यूजर ने बायकॉट मैरिज ट्रेंड का समर्थन करते हुए यह कहा है कि धारा 376 के तहत महिला के साथ भी उसी तरह से एक्शन लिया जाना चाहिए जैसा पुरुष के साथ होता है।
I strongly agree #BoycottMarriage These gold digger womens should be treated same as men treated in sanction 376
— Christopher Columbus (@_pita_g) September 10, 2022
हाईकोर्ट के जस्टिस मोहम्मद मुस्ताक ने धारा 376 को लेकर यह टिप्पणी की है या नहीं इस बात की पुष्टि तो हम नहीं कर सकते। लेकिन इस मामले में कुछ लोगों का कहना है कि अगर इस तरह के मामले में यह नियमों में कोई संशोधन चाहिए है तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाना चाहिए, सोशल मीडिया पर बात करने से कुछ नहीं होगा।