‘नौकरी में मज़ा नहीं आ रहा’..ये कहकर दे दिया इस्तीफा, हर्ष गोयनका ने बताई गंभीर समस्या

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कहा जाता है कि जीवन में अपना पैशन फॉलो करना चाहिए। लेकिन जब हम जिंदगी की आपाधापी में उलझते हैं तो वो उत्साह वो उमंग कहीं पीछे छूट जाती है। इस भागती दुनिया में ज्यादातर लोग अपनी नौकरियों में उलझकर रह जाते हैं। आज जब चारों ओर गलाकाट प्रतिस्पर्धा है और रोजगार को लेकर मारामारी है, ऐसे में अपनी नौकरी में बने रहना ही अक्सर बड़ी बात होती है। इन हालात में जॉब सेटिस्फेक्शन जैसी बातें कोरी लगती हैं और लोग बस अपनी नौकरी किये जाते हैं। इन हालात में भी क्या कोई सिर्फ इसलिये अपनी जॉब छोड़ सकता है..कि उसे मज़ा नहीं आ रहा।

दुनिया अजब गजब लोगों से भरी है और इसीलिए इतनी रंगीन है। मशहूर उद्योगपति हर्ष गोयनका ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक रेजिग्नेशन लेटर का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। इसमें एक व्यक्ति ने बड़ा ही अनोखे तरीके से इस्तीफा दिया है। रेजिग्नेशन लेटर में लिखा गया है “डियर सर..मैं इस्तीफा दे रहा हूं। मज़ा नहीं आ रहा..राजेश।” ये शेयर करते हुए हर्ष गोयनका ने लिखा है कि ये लेटर छोटा है लेकिन बहुत गहरा है। एक गहरी समस्या जिसे हम सबको सुलझाना होगा। भले ही ये पहली नजर में हंसी वाली बात लगे, लेकिन उन्होने वाकई एक बड़ी समस्या की ओर ध्यान खींचा है। इस तरह का शॉर्ट और टू द पाइंट रेजिग्नेशन लिखने वाले की मन:स्थिति और नौकरी के हालात के बारे में सोचा जाना चाहिए। आज तब वर्क प्लेस पर प्रेशर बढ़ गया है, ज्यादातर जगहों पर एचआर पॉलिसी कर्मचारियों के पक्ष में कम होती है और रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं..ये के मनोविज्ञान और भावनात्मक पक्ष पर असर कर रहा है। ऐसे में इस तरह रिज़ाइन करने वाली की हिम्मत की भी दाद देनी होगी, जिसने बहुत ही साफ और संक्षिप्त रूप से अपन बात कह दी। इस पोस्ट पर लोग तरह तरह से रिएक्ट कर रहे हैं और इस्तीफा देने वाले की साफगोई की तारीफ भी कर रहे हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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