भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एक मशहूर कहानी है ‘एक चित्रकार ने सोचा कि संसार के सबसे मासूम शख्स की तस्वीर बनाई जाए। लंबे समय तक तलाश की और आखिर ये तलाश एक बच्चे पर खत्म हुई। उसने बच्चे का चित्र बनाया, जिसे दुनियाभर में सराहा गया। कुछ सालों बाद उसी चित्रकार के मन में आया कि क्यों न संसार के सबसे खूंखार शख्स को भी चित्र में लाया जाए। इसके लिए वो अपराधियों की बस्ती में घूमने लगा और आखिर एक व्यक्ति पर नजर गई। उसने किसी तरह उसे मनाया और चित्र बनाया। एक प्रदर्शनी लगाई और उसमें उन दोनों चित्रों को भी रखा गया। उसमें अपराधी को भी बुलाया। लेकिन ये क्या…चित्र देखते ही अपराधी फूट फूटकर रो पड़ा। चित्रकार ने कारण पूछा तो उसने कहा- ये जो बच्चा है आपके चित्र में, ये भी मैं ही हूं। मेरी संगत और परिस्थितियों ने मुझे संसार के सबसे मासूम बच्चे से संसार का सबसे खूंखार शख्स बना दिया।’
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ये कहानी हमें बड़ी शिक्षा देती है। ये हमें बताती है कि हम जिन हालात में रहते हैं उसका असर हमारे चेहरे, सोच, विचार और व्यवहार पर किस कदर पड़ता है। जिस स्थान पर शांति होती है वहां के लोगों में सरलता होती है। वहीं जो इलाके, देश युद्ध (war) जैसी विभीषिका से जूझते हैं, वहां के नागरिकों का जीवन किसी जहन्नुम से कम नहीं होता। युद्ध लोगों के मन मस्तिष्क पर ऐसा प्रभाव डालते हैं कि उनकी सरलता, मासूमियत, सादगी, उल्लास, सकारात्मकता सब विलीन हो जाती है। इसके स्थान पर रह जाती है एक अनंत दुश्चिंता, कठोरता, अविश्वास और निर्ममता।
आज हम इसी बात को दर्शाने वाला एक चित्र आपको दिखाने जा रहे हैं। इसे world of history ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है। इसमें एक ही शख्स की दो तस्वीरें हैं..पहली साल 1941 में ली गई है और दूसरी 1945 में। इसके कैप्शन में लिखा है ‘एक सैनिक का चेहरा, युद्ध से पहले और बाद में।’ पहली तस्वीर में ये एक खुशमिज़ाज मासूम युवा है। उसकी आंखों में चमक है, होंठो पर स्मित और चेहरा एक उत्साह से भरा हुआ है। माथे पर कोई शिकन नहीं है। लेकिन अगली तस्वीर एकदम उलट है। चेहरा तना हुआ है, माथा चिंता की लकीरों से भरा हुआ और आंखे भयावह रूप से फैली हुई। पूर चेहरा अजीब तरह की कठोरता से भरा है और मासूमियत पूरी तरह गायब है। ये महज चार साल के अंतर वाली तस्वीर है लेकिन इस चार सालों में युद्ध ने उस युवा के चेहरे और जीवन को पूरी तरह बदल दिया है। ये सिर्फ तस्वीर नहीं..हर पीढ़ी के लिए हर व्यक्ति के लिए एक सबक है अपने जीवन की दिशा चुनने के लिए। युद्ध हमेशा विनाशकारी होते हैं और इससे होने वाला नुकसान लंबा होता है। इसलिए हम सभी अपने जीवन में शांति का मार्ग चुनना चाहिए। ये तस्वीर फिर इसी बात की ताकीद करती है।
A soldier’s face before and after the war 1941 vs 1945. pic.twitter.com/GGnaTrZffD
— WOH (@WorldOfHistoryy) August 29, 2022