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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जिंदगी जिंदादिली से जीना चाहिए फिर चाहे जो उम्र हो जो हालात है। फिर भी एक धारणा ये बनी हुई है कि उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति का जीवन अलग दिशा में मुड़ जाता है। अधिकांश लोग एक अजीब सी गंभीरता ओढ़ लेते है, जीवन के प्रति नैराश्य सा छाने लगता है और ये मान लिया जाता है कि अब बस ईश्वर का नाम लेते हुए ही समय काटना है।

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लेकिन इस समय बुजुर्गों को देखभाल और प्यार के साथ अधिक ऊर्जा की भी जरुरत होती है। उनकी भीतरी शक्ति घटने लगती है ऐसे में उनके आसपास के लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वो उन्हें बाहर से गतिशील रखें। उनके आसपास सकारात्मक माहौल बना रहे और वो जीवन के प्रति उमंग से भरे रहें। ये काम उनके बच्चे, रिश्तेदार, आस पड़ोस में रहने वाले और दोस्त भी कर सकते हैं। उन्हें अपने जीवन में शामिल करना और उनके साथ अपनी खुशियां बांटने से बुजुर्गों के मन में भी उम्मीदें हरी रहती हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।