ना जाने कब कुपोषण मुक्त हो पाएगी राजधानी

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भोपाल। प्रदेश में एक और लावारिस बच्चों को पोषण देने के नाम पर मिल्क बैंक शुरु किया जा रहा है| पोषण के नाम पर हर साल करोड़ों की राशि बजट में दी जाती है लेकिन नतीजे सिफर हैं| जिसकी बानगी बैरसिया का रहने वाला 4 साल का वो बच्चा है जिसका वजन 1 साल से बच्चे से भी कम है| इस बच्चे के सामने आने के बाद भी सरकार की आंख नहीं खुली है| सरकारें भले बदल जाएं लेकिन बच्चों के हालात प्रदेश में जस के तस हैं| हर साल आंकड़े सरकार की कलई खोलते हैं लेकिन सरकार| योजनाओं के नाम पर पल्ला झाड़ लेती हैं| आंकड़े बताते हैं के राजधानी भोपाल में कुपोषण बच्चे करीब 25 हजार से ज्यादा है जिसमें 56 की हालात बेहद गंभीर है..लेकिन सरकार कभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण आहार के बजाए टैब थमा रही है तो अब मेन्यू बदलने की बात कर रही है|


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