भोपाल| विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी का वादा नए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पद संभालते ही पूरा करने का दावा किया है| सीएम पद की शपथ लेने के तीन घटने के अंदर कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी की फाइल पर हस्ताक्षर किये| इसके साथ ही उन्होंने दावा किया है कि उनोने कर्जमाफी का वादा पूरा किया और किसानों का कर्ज माफ़ कर दिया है| लेकिन कर्जमाफी के फैसले को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं | किसानों की कर्ज माफी योजना से उन किसानों को लाभ होगा जिन्होंने अपने कर्जे नहीं पटाए हैं । इमानदारी से कर्ज पटाने वाले किसान एक बार फिर ठगे गए हैं |
उदाहरण के लिए ऐसे समझिए जैसे किसी ने 31 मार्च 2018 तक मानिये दस हजार रू लोन लिया था और उसे उसके बाद पटाना शुरू कर दिया, यदि उसने 40 फ़ीसदी लोन पटा दिया तो उसके बचे हुए 60 फ़ीसदी ऋण की राशि ही माफ होगी जबकि 100 फ़ीसदी ऋण अदा न करने वाले किसान का 100 फ़ीसदी ही कर्जा माफ हो जाएगा। इससे आगे चलकर समय पर ऋण अदा करने वाले किसान हतोत्साहित होंगे और वे भी अपना कर्जा जमा नहीं करेंगे। सरकार को इस निर्णय से ये फायदा होगा कि उसे सहकारी बैंकों का 60000 करोड़ की बजाय केवल 32000 करोङ रू कर्जा माफ करना होगा | वहीं सिर्फ कृषि में लिए लिया ऋण ही माफ़ होगा। कुआ ट्रेक्टर या कृषि उपकरण के लिए लिया कर्ज यथावत रहेगा । वहीं मार्च 2018 की स्थिति में लिया गया कर्ज अप्रैल 18 में अधिकतम किसान जमा कर अगली फसल के लिए मई या जून में फिर लेते है तो ऐसे में कम लोग ही लाभान्वित होंगे| प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने इस योजना पर यह कहकर भी सवाल उठाए हैं आखिर मार्च 2018 के बाद का कर्जा क्यों माफ नहीं किया जा रहा|