कठिन सीटों में दिग्विजय के लिए इंदौर सीट पर राह होगी आसान

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भोपाल/इंदौर। मध्य प्रदेश की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सुर्ख़ियों में बने हुए हैं| सीएम कमलनाथ ने उन्हें सबसे कठिन सीट से चुनाव लड़ने को कहा है, इसके पीछे उनका तर्क है, कि दिग्विजय सिंह बड़े नेता हैं और बीजेपी के गढ़ वाली सीटों पर सेंध लगा सकते हैं| यह बयान तब आया जब उनका राजगढ़ से टिकट फाइनल माना जा रहा था| जिसके बाद से अब दिग्विजय को भोपाल और इंदौर से उतारने के कयास लगाए जा रहे हैं| भोपाल और इंदौर दोनों ही सीटों पर कांग्रेस को तीन दशक से जीत नसीब नहीं हुई| अगर इन दोनों में से ही किसी सीट से दिग्विजय को चुनाव लड़ना है तो वे इंदौर से लड़ने का मत पार्टी के सामने रख सकते हैं| क्यूंकि यहां चुनाव में उनकी राह आसान हो सकती है| इसके पीछे कई कारण हैं| 

इंदौर लोकसभा सीट पर आठ बार सांसद रह चुकीं महाजन के टिकट को लेकर पहली बार भाजपा के कुछ लोगों ने सार्वजनिक विरोध किया। इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है| दिग्विजय का इंदौर से गहरा रिश्ता है, इंदौर सीट से इससे पहले से ही सिंह का नाम चलाया जा रहा था। दिग्गी के करीबी कांग्रेसियों के मुताबिक सिंह भोपाल से चुनाव नहीं लड़ेंगे, इसकी खास वजह है। असल में सिंह को प्रदेश की 15 लोकसभा सीटों के टिकट से लेकर जीत की रणनीति बनाने तक की जिम्मेदारी दी गई है। लिहाजा इस जिम्मेदारी को निभाते हुए सिंह के लिए राजगढ़ और इंदौर सीट ही मुफीद नजर आ रही है। दोनों ही जगह सिंह की तगड़ी टीमें हैं। इंदौर में पूर्व मंत्री महेश जोशी, अश्विन जोशी से लेकर रघु परमार, पूर्व आईडीए उपाध्यक्ष राजेश शर्मा, अर्चना जायसवाल से लेकर सिंह के तमाम वफादार लोगों का खेमा है। साथ ही मौजूदा मंत्री जीतू पटवारी, तुलसी सिलावट से लेकर पहले चुनाव लड़ चुके सत्यनारायण पटेल भी सिंह के लिए काम करेंगे। ऐसे में सभी गुटों के सिंह के लिए एकजुट होने के समीकरण इंदौर को सिंह के लिए आसान सीट बना रहे हैं।


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