देश आज 26 जनवरी को 70वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक देशभक्ति की लहर चल रही है।हर कोई इस दिन से जुड़े इतिहास किस्सों को लेकर अपनी बात कह रहा है। ऐसे में आज हम भी आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे है जिसका जन्म ना सिर्फ आज के दिन हुआ बल्कि परिवार के लोगों ने उनका नाम 26 जनवरी ही रख दिया, हैरानी के बीत तो ये है कि वह इस नाम से छिड़ता नही बल्कि अपने आप में गौरवान्वित महसूस करता है। आईए हम आपको बताते है इसके पीछे की पूरी कहानी…
ये बात 26 जनवरी 1966 की है , जब झाबुआ के एक सरकारी स्कूल के हेड मास्टर सत्यनारायण टेलर स्कूल में गणतंत्र दिवस की सुबह झंडा वंदन कर स्कूल के बच्चों को संबोधित कर रहे थे। उसी दौरान सत्यनारायण टेलर को किसी ने जानकारी दी कि आपके घर बेटे का जन्म हुआ।इस पर सत्यनारायण इतने उत्साहित हुए कि उन्होंने अपने बेटा का नाम ही 26 जनवरी टेलर रख लिया।
26 जनवरी टेलर बताते हैं कि वे अपने नाम के कारण पूरे देश में एक अलग पहचान बना चुके है।उन्हें अपने नाम पर बहुत गर्व होता है। वो सभी काम समय पर करते हैं। हर साल 26 जनवरी के दिन उनके मित्र धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाते हैं। इस नाम के लिए वे अपने पिता को हर पल धन्यवाद देते है। उनका कहना है कि पिता ने ये नाम देकर उन्हें ना सिर्फ देश के लिए समर्पित किया बल्कि एक अलग पहचान भी दिलाई। लोग बड़े ही सम्मान से उनका नाम लेते है और बधाई भी देते है।
कई कठिनाईयों का करना पड़ा सामना
26 जनवरी को अपने नाम को लेकर कई बार कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। पिता ने जन्म प्रमाण पत्र से लेकर स्कूल में एडमिशन तक में उनका नाम 26 जनवरी ही लिखवाया। 26 जनवरी नाम के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। शादी से लेकर अन्य काम में उन्हें नाम को लेकर स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र करा कर देना पड़ता है ।26 जनवरी आज अपने नाम के कारण देशभर में अलग पहचान बना चुके हैं । 26 जनवरी मंदसौर के डाइट कॉलेज़ में कार्यरत हैं। वही 26 जनवरी के 26 जनवरी के दिन सुबह झंडा वंदन कर वे अपने दोस्तों के अपना जन्मदिन भी मानते है।
नाम के कारण रुक गया था पूरे स्टाफ का वेतन
-1993 में डाइट के स्टाफ के साथ 26 जनवरी नाम होने से संदेह के आधार पर पूरे स्टाफ का वेतन जिला कोषालय ने रोक लिया। बाद में नाम के प्रमाणीकरण के साथ नियुक्ति-पत्र व अन्य दस्तावेज दिखाए तब 26 जनवरी नाम को मान्य किया गया।
-1998 के लोकसभा चुनाव में मतदान दलों की सूची में 26 जनवरी का नाम सबसे ऊपर आया तो तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव ने कहा, ये क्या मजाक है। उन्होंने सूची पर साइन करने से मना कर दिया। बाद में उन्हें भी दस्तावेज के साथ प्रमाणीकरण देना पड़ा था।