इंदौर/बागली, सोमेश उपाध्याय। तीन दोस्तों की सूझबूझ और मानवता की सोंच के चलते आगरा के दम्पति को पिछले तीन माह से गुमशुदा पुत्र मिल गया। दरअसल करीब 3 माह पहले ग्वालियर रोड आगरा का 18 वर्षीय बालक इंसाफ हिम्मतवाला अपने घर से लापता हो गया था और जैसे तैसे इंदौर तक आ पहुंचा था, जिसके बाद वो 3 माह तक इंदौर में भटकता रहा।
उसके बाद वह घूमते फिरते तलावली चांदा स्थित द्वारका टैंकर सर्विस के ऑफिस पर पहुंचा वहां के मालिक मनीष पाटोदिया और सतीश पाटोदिया ने उसकी माली हालत देखकर उसे समोसे और कचोरी खाने के लिए दिए तो उसने मना कर दिया। चाय पीने को दी तो उसने मना कर दिया। फिर वहां पर देवास जिले के बागली निवासी विपिन शर्मा आया और उससे नाम पूछने पर आमीन शाह बताया और जानकारी पूछने पर पता लगा कि वो आगरा में उनका श्रीराम बैंड के नाम से आर्केस्ट्रा का काम है।
जानकारी लगने पर बागली के विपिन शर्मा ने गूगल पर श्रीराम बैंड आमीन शाह ,आगरा उत्तर प्रदेश के नाम से सर्च किया तो बहुत से नाम दिखे। शर्मा ने लगातार विस्तृत खोज के बाद बालक के पिता का नम्बर खोज निकाला। उसके बाद उसके पिता से वीडियो कॉल पर उसकी बात कराई। तीन माह बाद अपने खोए पुत्र को देख माता-पिता सिसक सिसक कर रोने लगे। जिससे सतीश मनीष और विपिन भी भावुक हो गए और उन्होंने इंसान को उसके घर पहुंचाने का निर्णय लिया।
इंसाफ की दयनीय स्थिति को देखकर सतीश और मनीष ने उसे कॉन्प्लेक्स में नहला कर नए कपड़े व स्वेटर दिलाई। इंसाफ के दाहिने पैर में बहुत ही पुराना घाव था, जिसकी भी निजी चिकित्सक से ड्रेसिंग करवाई। बालक के माता-पिता के लौटने तक सतीश और मनीष ने इंसाफ को अपने घर में रहने के लिए जगह दी।
माता-पिता की खुशियो का नही रहा ठिकाना
इंसाफ के माता-पिता और मामा, चाचा रात को करीब तीन बजे इंसाफ को लेने इंदौर पहुंचे और जैसे ही अपने बेटे को देखा तो वह गले मिलकर फूट-फूटकर रोने लगे। आगरा के शौकत भाई ने तीनों दोस्तों का शुक्रिया करते हुए कहा कि आप न होते तो शायद हमारा पुत्र हमे ना मिल पाता। बागली में यह जानकारी लगने पर लोगों ने सोशल मीडिया पर इन तीनों की खूब प्रसंशा की। इस घटना से यह प्रतीत हुआ कि वर्तमान कोरोना महामारी के बाद जहा लोग अंजान व्यक्ति को छूना भी पसंद नही करते ऐसे में अंजान व्यक्ति को अपने घर में आश्रय देकर माता-पिता को लौटाना इंसानियत की बहुत बड़ी मिसाल है।
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Gaurav Sharma
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इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।