तीन दोस्तो की सूझबूझ से आगरा के दम्पति के जीवन में लौटा खुशियों का चिराग़, गुमशुदा इंसाफ को भेजा घर

इंदौर/बागली, सोमेश उपाध्याय। तीन दोस्तों की सूझबूझ और मानवता की सोंच के चलते आगरा के दम्पति को पिछले तीन माह से गुमशुदा पुत्र मिल गया। दरअसल करीब 3 माह पहले ग्वालियर रोड आगरा का 18 वर्षीय बालक इंसाफ हिम्मतवाला अपने घर से लापता हो गया था और जैसे तैसे इंदौर तक आ पहुंचा था, जिसके बाद वो 3 माह तक इंदौर में भटकता रहा।

उसके बाद वह घूमते फिरते तलावली चांदा स्थित द्वारका टैंकर सर्विस के ऑफिस पर पहुंचा वहां के मालिक मनीष पाटोदिया और सतीश पाटोदिया ने उसकी माली हालत देखकर उसे समोसे और कचोरी खाने के लिए दिए तो उसने मना कर दिया। चाय पीने को दी तो उसने मना कर दिया। फिर वहां पर देवास जिले के बागली निवासी विपिन शर्मा आया और उससे नाम पूछने पर आमीन शाह बताया और जानकारी पूछने पर पता लगा कि वो आगरा में उनका श्रीराम बैंड के नाम से आर्केस्ट्रा का काम है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।