तानसेन समारोह पर कोरोना का साया, नहीं होगा अलंकरण, आयोजन 26 से 30 तक

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” संगीत की नगरी ग्वालियर में इस साल 26 से 30 दिसम्बर तक आयोजित होगा। भारतीय शास्त्रीय संगीत की अनादि परंपरा के श्रेष्ठ कला मनीषी संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि व स्वरांजलि देने के लिये पिछले 95 साल से यह प्रतिष्ठित आयोजन हो रहा है। इस साल के आयोजन में भी ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि देने आयेंगे। साथ ही विश्व संगीत की प्रस्तुतियां भी होंगीं। लेकिन खास बात ये है कि संगीत समारोह पर भी कोरोना का साया है जिसके चलते इस मौके पर दिये जाने वाला प्रतिष्ठित तानसेन अलंकरण किसी कलाकार को नहीं दिया जायेगा। साथ ही इस बार तानसेन समारोह की शुरुआत के पहले होने वाला कार्यक्रम “गमक” और गूजरी महल में आयोजित होने वाली सांध्यकालीन सभा नहीं होगी। कोरोना को देखते हुए आयोजन समिति ने संगीत सभाओं की समय सीमा में भी बदलाव किया है।

समारोह की तैयारियों के सिलसिले में ग्वालियर संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना की अध्यक्षता में स्थानीय आयोजन समिति की बैठक हुई। श्री सक्सेना ने इस मौके पर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि तानसेन समारोह की सभी व्यवस्थायें उच्च कोटि की एवं समारोह की गरिमा के अनुरूप हों। मानसभागार मोतीमहल में आयोजित हुई बैठक में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पंडित साहित्य कुमार नाहर, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, पुलिस अधीक्षक अमित सांघी, संभागीय उप आयुक्त राजस्व आर पी भारती, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के प्रभारी निदेशक राहुल रस्तोगी , अशोक आनंद, वीरेन्द्र तिवारी, डॉ. केशव पाण्डेय, बाल खाण्डे, के के दीक्षित व श्रीमती रंजना टोंणपे सहित समिति के अन्य सदस्यगण और बेहट ग्राम पंचायत के सरपंच एवं संबंधित अधिकारी मौजूद थे। संभाग आयुक्त ने समारोह की सभी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित ढंग से अंजाम देने के लिये उप समिति गठित करने के निर्देश बैठक में दिए। साथ ही कहा कि समारोह के आयोजन के संबंध में मैप आईटी के माध्यम से रसिकों को एसएमएस पहुँचाने की व्यवस्था भी की जाए। समिति के सदस्यों के सुझाव पर कार्यक्रम स्थल पर सीटों की उपलब्धता के बारे में सही-सही जानकारी देने के लिये एनआईसी के माध्यम से ऑनलाइन जानकारी देने की व्यवस्था करने के लिये भी कहा। साथ ही समिति के सदस्यों के सुझाव पर समारोह के सभाओं की वीडियो देखने के लिये क्यूआर कोड जारी कराने की बात भी कही।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....