Farmer’s Protest : कृषि बिल समझाने के लिए BJP का नया अभियान, गांव के खेतों में लगाएगी चौपाल

पूर्व विधायक

हरदा, डेस्क रिपोर्ट। कृषि कानूनों (Agriculture bill) के खिलाफ (Against) किसान का आंदोलन (Farmers Protest) लगातार उग्र रूप लेता जा रहा है। किसान (Farmers) कृषि कानून के सख्त खिलाफ है और लगातार ही केंद्र सरकार (Central Government) से कानून को वापस लेने की मांग (Demand) कर रही है। वही केंद्र सरकार का दावा है कि यह कानून किसानों के हित (Good) के लिए है> साथ ही सरकार किसानों को आश्वासन (Assurance) दे रही है कि एमएसपी (MSP) किसी भी हाल में नहीं हटाया जाएगा, लेकिन फिर भी किसान किसी भी हाल में आंदोलन (Protest) खत्म करने के लिए तैयार नहीं है, किसान बिल को वापस लेने की मांग की जिद पर अड़ा हुआ है।

वहीं किसानों को कृषि बिल के फायदे समझाने के लिए कुछ दिनों पहले बीजेपी (BJP) ने देश भर में 700 चौपाले और प्रेस वार्ता (Press Confrence) आयोजित करने का ऐलान (Announcement) किया था जिसके तहत किसानों को चौपाल और प्रेस वार्ता के जरिए कृषि बिल के फायदे समझाएं जा रहे हैं। वही कृषि बिल के फायदे समझाने के लिए किसान सम्मेलन के बाद अब बीजेपी (BJP) एक नए अभियान (campaign) की शुरुआत करने जा रहे हैं। इसके तहत मंत्री-विधायक कृषि बिल के फायदे समझाने के लिए खेतों में चौपाले लगाएंगे। इस अभियान का शुभारंभ मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) द्वारा आज हरदा (Harda) में किया गया, जहां उन्होंने कृषि बिल समझाने के लिए किसानों की चौपाल खेत में लगाई।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।