ग्वालियर, अतुल सक्सेना। New year के स्वागत के लिए जहाँ होटल, पब एवं बार सजे हुए हैं। वहीं प्रशासन भी कोई रियायत के मूड में नहीं है। पुलिस जहाँ सड़क और होटलों के आसपास चैकिंग (checking) कर रही है वहीं आबकारी विभाग (excise department) होटल, बार, पब, हुक्का बार, क्लबों पर नजर गड़ाए हुए है। इसी क्रम में आबकारी विभाग ने एक सूचना के बाद एक क्लब पर छापा (Raid) मार कर वहाँ अवैध रूप से परोसे जा रहे हुक्के और शराब पीते युवकों और नाबालिगोंं (Minors) को पकड़ लिया।
जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह (Collector kaushalendra Vikram Singh) एवं सहायक आबकारी आयुक्त संदीप शर्मा के निर्देश के बाद आबकारी विभाग शहर में अवैध रूप (legally) से परोसी जा रही शराब के ठिकानों पर नजर जमाये हुए हैं। विभाग को गुरुवार को साल के अंतिम दिन मुखबिर से सूचना मिली कि शिंदे कि छावनी में अवैध रूप से संचालित “कायरो कैफे एंड क्लब ” में अवैध हुक्का बार (hookah bar) चल रहा था यहाँ लोग नये साल की पार्टी मनाने आये हैं। क्लब में अवैध शराब और हुक्के परोसे जा रहे थे। मुखबिर की सूचना पर आबकारी विभाग ने यहाँ छापा मारा।
आबकारी सब इंस्पेक्टर अपर्णा विश्वकर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग ने यहाँ छापा मारा उस समय यहाँ आधा दर्जन युवक और नाबालिग शराब एवं हुक्का पीकर नशा करते हुए मिले। विभाग ने नाबालिगों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया है और भविष्य में नशा ना करने की भी हिदायत दी गई है। उन्होंने बताया कि हुक्का बार संचालकों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है। आबकारी पुलिस को यहां से शराब की बोतलें, हुक्का एवं उसमें भरा जाने वाला नशे का सामान मिला है, जिसे बरामद किया गया है।
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Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।