सर्वागिण क्रांति के अग्रदूत डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर – डाॅ. मोहसिन उद्दीन (इराक)

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डाॅ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 ई. को महूं छावनी में हुआ था, जो कि अब मध्य प्रदेा के इन्दौर जिले में है। डाॅ. अम्बेडकर की प्रारम्भिक शिक्षा सतारा में एवं स्नातक की पढ़ाई मुबंई में हुई। डाॅ. अम्बेडकर ने अमेरिका और इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी वे ऊंचे दर्जे के समाजविद् और विधि-वेत्ता थे। डाॅ. अम्बेडकर ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद देा में व्याप्त इस सामाजिक अन्याय के रहस्य को समझा कि आर्थिक एवं राजनैतिक स्वतंत्रता तब तक व्यर्थ होगी जब तक कि समाज में सामाजिक न्याय व्याप्त न हो। वे समतामूलक समाज एवं सामाजिक परिवर्तन के पक्षधर थे। वे सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत एवं मसीहा थे। डाॅ. अम्बेडकर को बाबा साहेब के नाम से भी लोकप्रियता हुई। स्वतंत्र भारत के संविधान की संरचना में उनका सर्वाधिक योगदान था। आज उन्हें संविधान के शिल्पकार के रुप में याद किया जाता है। डाॅ. अम्बेडकर का सम्पूर्ण जीवन संर्घा तथा सामाजिक अन्याय के विरुद्ध सामाजिक न्याय की खोज की एक जीवन्त गाथा है, और इस संर्घा में उन्हें सफलता भी मिली। वे भारत के विधि मंत्री बने और संविधान सभा की प्रारुप समिति के अध्यक्ष रहें। अप्रैल 1947 को डाॅ. अम्बेडकर की मान्यता थी कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के बिना राजनैतिक लोकतंत्र अधूरा है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, इससे समता, स्वतत्रता, बधुत्ता, सामाजिक न्याय और परिवर्तन का मार्ग प्रास्त हुआ। डाॅ. अम्बेडकर के क्रांतिकारी विचारों को इस प्रकार समझते है।

शिक्षिक अधिकार को पहली क्रांति का दर्जा है। अपने अनुयायियों और दलित बंधुओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित किया और शिक्षिक क्रांति का बीज बोया। आज भारत में उनके नाम से नए महाविद्यालय, विवविद्यालय और उच्च शोध संस्थान स्थापित करने में भारतवासी अपना परम सौभाग्य समझते हैं। इस क्रांति के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार सभी वर्गो को प्राप्त हुआ है। राजनीतिक अधिकारों की क्रांति को दूसरी क्रांति कहा जाता है हजारों र्वाों से राजनीतिक अधिकार से वंचित दलित समाज के लिए उन्होंने भारी संर्घा किया और संवैधानिक राजनीतिक अधिकार दिलाए। भारत में घूमकर अनुसूचित जातियों-जनजातियों की वैज्ञानिक ढंग से सूची बनाई जो आज भी मान्य हैं। इससे करोड़ों दलित ािक्षित होकर अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए सजग हुए। सं���द, विधान सभा से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक राजनीतिक अधिकार प्राप्त करने में सफल हुए। इसके अंतर्गत महिलाओं का आरक्षण संसद, विधान सभा से लेकर ग्रामीण एवं नगरी निकाय की वकालत की गई।


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