बता दें, मंदिर समिति की बैठक में भक्तों को एंट्री देने के लिये पहले ही निर्णय ले लिया गया था, जिसके अनुसार ही श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश और दर्शन करने को मिला। वहीं एस मौके पर दिल्ली, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य जगहों से बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने सुख समृद्धि के साथ कोविड से मुक्ति के लिए कामना की।
बाबा महाकाल की भस्म आरती के लिये सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही लोगों को प्रवेश दे दिया गया। यहां गेट नंबर 4 से आम श्रद्धालु और गेट नंबर 5 से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। सभी के अनुमति पत्र को चेक करने के लिए मंदिर समिति ने प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्था जुटाई थी। हालांकि, 1000 भक्तों के प्रवेश और बैठने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पूर्ण रूप से नहीं हो पाया और भीड़ को इक्क्ठा करके छोड़ा गया, जिससे एक कतार में भक्त गणेश मंडपम और कार्तिकेय मंडपम तक पंहुचे।
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वहीं बाबा के दरबार में 1000 भक्तों को परमिशन के लिए लिंक खोली गई थी, लेकिन शनिवार को हुई भस्म आरती के लिए कुल 696 परमिशन दी गयी। इस दौरान बाबा महाकाल को सभी पंडित और पुजारियों ने नियम अनुसार जल चढ़ाया जिसके बाद दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया गया। अभिषेक के बाद श्रृंगार कर भगवान महाकाल को भस्म रमाई गई। भस्म आरती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष श्रृंगार किया गया था। इस श्रृंगार और आरती के बाद बाबा महाकाल का अलौकिक दृश्य देखने को मिला।