भोपाल। प्रदेश में राजस्व प्रकरण निपटने में तेजी लाने के लिए जल्द ही पटवारियों की भर्ती की जायेगी, इसकी जानकारी राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने बुधवार को पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए दी| राजस्व विभाग के फ़ैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री राजपूत ने कहा कि प्रत्येक हलके पर हमारा पटवारी हो ये हमारी कोशिश है। पहले मध्यप्रदेश में 8400 पटवारियों की भर्ती हुई थी अब हम आगे और पटवारियों की भर्ती करेंगे।
मंत्री ने लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में बताया कि अब प्रदेश में बिना खसरे के भी एंट्री होगी। निजी एजेंसियों की मदद से सीमाकंन किया जाएगा। डायवर्सन का काम फ्री में किया जाएगा। एक ही आवदेन में रजिस्ट्री के बाद नामांतरण और बंटवारा हो जायेगा। खुद की जमीन पर लगे पेड़ को काटने में हो रही असुविधा को कम करने की कोशिश हमने की है।
पटवारियों को अपने हलके में बैठना होगा
मंत्री ने यह भी बताया कि अब प्राकृतिक आपदा से होने वाली हानि का न्यूनतम मुआवजा 5 हजार मिलेगा। प्रदेश भर में पटवारियों को ई-बस्ता के रूप में लैपटॉप दिया जाएगा। इसके लिए 2 जिलों को चिन्हित किया जायेगा। सागर और छिंदवाड़ा से इसकी शुरुआत हो सकती है। समीक्षा बैठक हर जिले की होगी, जो संभाग स्तर पर होगी। साथ ही पटवारियों को लैपटॉप चलाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि मध्यप्रदेश में पटवारियों के लिए नए नियम भी बनाए जाएंगे। पटवारियों को अपने हल्के में बैठना होगा। पटवारी यदि अपने हल्के में सप्ताह में दो दिन नहीं बैंठेंगे तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि राजस्व कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन के बिना प्रकरण रिकॉर्ड दाखिल नहीं होंगे। सीमांकन सीमा चिन्हों को निर्मित करने के लिए अब निजी ऐजेंसी को सेवा ली जायेगी। भू स्वामी धारा 59 की कार्यवाही के बाद डायवेरशेन की आवश्यकता नहीं होगी। आरवीसी 6-4 मे मुआवजा राशि में संशोधन कर न्यूनतम राशि 5 हजार से कम नहीं दिया जायेगा।
मुख्यालयों से एसी बसों का होगा संचालन
राजस्व मंत्री ने बताया कि भोपाल में भेल की 1 हजार एकड जमीन को वापस लेकर उसका उपयोग किया जायेगा। इस मामले में भारी उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर संबंधित विभाग के मंत्री से मुलाकात भी की जाएगी। परिवहन विभाग की लाइसेंस प्रक्रिया को सरलीकरण किया जा रहा है। 25 हजार छात्राओं को फ्री लाइसेंस दिया है। ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रेक पीपीपी मॉडल के आधार पर संभाग वॉइस तैयार करने जा रहे हैं। प्रदेश के लोक परिवहन के लिए जीपीएस आधारित कंट्रोल कम कमांड सेंटर तैयार किए जाएंगे। प्रदेश में प्रदूषण जांच की व्यवस्था को ऑनलाइन किया जाएगा। गोविन्द सिंह ने यह भी बताया कि सभी जिला मुख्यालय से राजधानी और पर्यटन के शहरों तक एसी बसों का संचालन होगा।