जानलेवा बना सिटी हॉस्पिटल, प्रशासन मौन

टीकमगढ़।आमिर खान। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का जो लोग सपना देख रहे थे उन लोगों का सपना अधूरा सा ही रह गया। टीकमगढ़ जिले में  संचालित प्राइवेट नर्सिंग होम इन दिनों अपनी मनमानी के चलते लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने में लगे हैं। मामला किसी से छिपा नहीं कि जब एक महिला इलाज के लिए टीकमगढ़ शहर के अस्पताल चौराहे के पास स्थित सिटी हॉस्पिटल जाती है तो वहां डॉक्टर की लापरवाही के चलते महिला को अपनी जान गवा देनी पड़ती है। यह मामला इतना गंभीर होने के बाद भी जिला प्रशासन और टीकमगढ़ जिले का स्वास्थ्य अमला चुप्पी साध कर बैठ गया है। स्वास्थ्य अमले की चुप्पी से अंदाजा लगाया जा सकता है की टीकमगढ़ का स्वास्थ्य अमला आम जनमानस के लिए किस तरह काम कर रहा है। फिलहाल इस तरह की घटनाओं से मध्यप्रदेश में काबिज  कांग्रेस की सरकार पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। 

मामला दिनांक 21 अक्टूबर का है। जब शहर की रहने वाली राधा देवी अपने परिजनों के साथ सिटी हॉस्पिटल अपना इलाज कराने पहुंचती हैं, जंहा उनका इलाज डॉक्टरों की वजह वंहा मौजूद नर्सों से कराया जाता है, जिससे उसकी हालत बिगड़ती है और राधा देवी को तत्काल झांसी के लिए रेफर कर दिया जाता है, फिलहाल महिला को वंहा झांसी में डॉक्टर के इलाज के बाद भी नहीं बचाया जा पाता। मृतिका राधा देवी के पति संतोष कुमार का आरोप है कि सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर सीपी सिंह ने पैसे की लालच में आकर उनकी पत्नी राधा देवी का इलाज लापरवाही के चलते किया, जिससे उसकी पत्नी की मौत हो गई। आरोप है कि यहां पदस्थ डॉक्टर सीपी सिंह द्वारा स्वयं हॉस्पिटल न पहुंचकर स्टाफ को फोन पर दिशा निर्देश दिए गए इसी दौरान स्टाफ ने बिना किसी जांच के मरीज का 4 घंटे इलाज किया इसके बाद डॉ सीपी सिंह वहां पहुंचे और उन्होंने इलाज करके सीधा झांसी के लिए रेफर करने की बात कही। अगर सीपी सिंह समय से अस्पताल पहुंच जाते तो कहीं न कहीं महिला की जान बच सकती थी। इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है की टीकमगढ़ में संचालित प्राइवेट नर्सिंग होम किस तरह से लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हालांकि जानलेवा बने इस सिटी हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई होने की वजह अब तक जांच कमेटी भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। 


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