ग्वालियर। टिकट वितरण से पहले पार्टी के नेताओं के सामने शक्ति प्रदर्शन करने वाले नेता टिकट बंटावारे के बाद से गायब हो गए हैं। कांग्रेस के आलाकमान ने रूठे नेताओं को मनाने के प्रयास भी किए लेकिन इनमें से कई अब चुनावी रण छोड़ अंडर ग्राउंड हो गए हैं। पार्टी को अब इन नेताओं से भितरघात का डर बना हुआ है। यही कहानी बीजेपी की भी है। ग्वालियर और चंबल में कांग्रेस और भाजपा नेता लापता है। जिन्हें टिकट मिला है वह अपने दन पर मैदान में डटे हैं। भूमिगत हुए नेता अब अपनी ही पार्टी की जमीन खोखली करने में लगे हैं।
मजे की बात तो यह है कि ऐसे हालात तब बन रहे हैं जब भाजपा और कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष इसी अंचल से हैं। मंत्री माया सिंह का टिकट काटकर पार्टी ने यहां से सतीश सिंह सिकरवार को मैदान में उतारा है। सिकरवार के पास समर्थकों की कमी नहीं है। लेकिन वर्तमान मंत्री माया सिंह के अपने ही क्षेत्र के प्रत्याशी के पक्ष में जन संपर्क नहीं करने और जनसभाओं से दूरी बनाना चर्चा का विषय बना है। कांग्रेस में भी ऐसा ही नजारा है। सिंधिया के खास ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन इस क्षेत्र में जनता के बीच अच्छी पैठ रखने वाले और टिकट की मांग कर रहे कांग्रेस नेता दर्शन सिंह और सुरेंद्र शर्मा भी गायब हैं।