एमपी के बेटे ने देश में बढ़ाया मान, गेमचेंजर अवार्ड से सम्मानित

सीहोर।अनुराग शर्मा। जब नन्हे कदमों को हौले हौले चलने का अभ्यास कराने की उम्र होऔर उम्र के उस पढ़ाव पर नन्हें कदम अगर सफलता का एवरेस्ट छू लें। तब इसको हौंसलों की उड़ान… कहा जा सकता है। परवाज(उड़ने की कला) सीखने के दिनों में आसमान की ऊँचाइयों को नाप लेना अजब दास्ताँ की गजब इबारत को लिखना भी कहा जा सकता है। मासूम चेहरों के इस समूह की मजबूत इच्छा शक्ति ने उनके फौलादी इरादों को कामयाबी के उस शिखर पर पहुँचा दिया है जिस शिखर की झलक आदमी पूरे जीवन में देख भी नहीं पाता है।
सवाल उठना जरूरी है कि आखिर ऐसा हुआ क्या कि जिला मुख्यालय से सटे छोटे से गाँव रायपुरा नयाखेडा के प्रदीप मेवाडा को भारत के उप राष्टृपति वैंकैया नायडू ने दिल्ली में गेम चेंजर अवार्ड से सम्मानित किया किस उपलब्धि के लिए सम्मानित कर देते हैं। चलिए हम आपको लिए चलते हैं आज से सात साल पहले के उस दौर मेंजब देश को खुले में शौच करने से मुक्त बनाने के प्रयास किये जा रहे थे। इस काम को शासन के प्रचार का डंकाऔर प्रशासन के नियमों का डंडा भी बखूबी अंजाम देने से चूक रहा था और नयापुरा गाँव का मात्र दस साल का नौनिहाल इस काम के लिए आगे आता है उसके साथ उसके हम उम्र लड़के – लड़कियो की टोली भी होती है। इस टोली का काम उस समय शुरू होता था जब कम्बख्त नींद बहुत प्यारी आती है यानि अल सुबह के समय। जब गाँव का आदमी डब्बा पकड़कर शौच के लिए सर्व भूमि गोपाल कीजैसा भाव लेकर अपनी शंका का समाधान कर लेता था। उस वक्त यह बाल टोली सीटी बजाकर खुले में शौच करने को मना जैसा करती थी। आदत से मजबूर लोग. सीटी की आवाज को अनसुनी कर देते ऐसे मौके से निपटने के लिए प्रदीप और उसके साथियों ने तरकीब निकाली डब्बा ढोल यानि शौच के बाद जिस डब्बे में पानी ले जाया जाताउस को फैला देना। नन्हें कदमों के इस जतन पर गाँव के लोगों ने उन्हें काफी भला बुरा भी कहा तो कभी कभी उन बच्चों को जम कर लताड़ा भी गया। बच्चों की हिम्मत इस अपमान से डिगी नहीं… कदम और मजबूती से रखाए। मकानों की दीवारों पर शौच मुक्त गाँव बनाने के नारे लिखने के लिए छोटा मोटा बजट यह बाल गोपाल जुगाड़ करते रहे। कुछ एन जी ओ ने इन्हें सहायता की और यह बाल मंडली मुख्यमंत्री स्वच्छता अभियान में उल्लेखनीय योगदान के लिए कलेक्टर से प्रमाण पत्र पा जाती है हौसलों को मजबूती मिलती हैधीरे धीरे लोग भी समझते हैं और यह ग्राम पंचायत पहली ओ डी एफ पंचायत का तमगा हासिल कर लेती है। उनके काम को सहारा मिलता है ग्राम पंचायत सचिव महेश राठौर का । कुछ एन जी ओ का भी और छू लिया जाता है नन्हें कदमों से सफलता के एवरेस्ट को। बधाई नन्हें साथियों। तुम सबक बने हो सीख बने हो इसी वजह से चेंज मेकर बने हो। इनकी सफलताओं को किताबों में शामिल किया गया है।


About Author
न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

न्यूज डेस्क, Mp Breaking News