भोपाल। मध्य प्रदेश में 15 साल बाद विपक्ष में बीजेपी बैठने जा रही है। विधायक दल की बैठक में गोपाल भार्गव को नेता प्रतिक्ष चुना गया है। 2003 में बीजेपी सरकार में आई थी जब उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी को जीत मिली थी। उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी। उनके कार्यकाल में गोपाल भार्गव को पहली बार मंत्री बनाया गया था।
ऐसा है सियासी सफर
सागर की रहली विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है। भार्गव इस सीट पर 1985 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के बाद गोपाल भार्गव ही ऐसे नेता है जो लगातार इतने चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उन्हें 8वीं जीत मिली है। इस सीट पर बीजेपी की पकड़ इतनी मजबूत है कि कांग्रेस यहां प्रतीकात्मक रूप से ही अपना उम्मीदवार खड़ा करती आई है। भार्गव ने वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस के बृजबिहारी पटैरिया को 51 हजार 765 वोट से हराया था। उन्होंने 2018 में भी बड़े अंतर से जीत हासिल की है। गोपाल भार्गव पिछले 15 साल मंत्री रहे हैं। जिस भी विभाग में वो मंत्री रहे उससे जुड़े विकास काम इस इलाके में हुए हैं।
गोपाल भार्गव वर्ष 1982 से 1984 तक नगर पालिका गढ़ाकोटा के अध्यक्ष रहे। इसके बाद वे सागर की रहली विधानसभा सीट का विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। श्री भार्गव 1985 में विधानसभा सदस्य चुने गये। वर्ष 1985 के बाद वे निरंतर विधानसभा के सदस्य हैं। श्री भार्गव को 8 दिसंबर, 2003 को उमा भारती के मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल कर कृषि, राजस्व, धार्मिक न्यास और धर्मस्व, पुनर्वास व सहकारिता विभाग का दायित्व सौंपा गया। 28 जून 2004 को हुए मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के बाद एक जुलाई 2004 को कृषि एवं सहकारिता विभाग का उत्तरदायित्व सौंपा गया। इसके बाद भार्गव को 27 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल किया गया। वहीं भार्गव को 4 दिसम्बर 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल कर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। गोपाल भार्गव को कृषि और सहकारिता विभाग का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया। दिसंबर 2008 में सम्पन्न विधान सभा चुनाव में छटवीं बार रहली विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुये। श्री भार्गव को 20 दिसंबर 2008 को शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल कर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। भार्गव वर्ष 2013 में पुनः रहली विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने 21 दिसम्बर, 2013 को केबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। 2018 में भी वे आठवीं बार जीते, रहली सीट पर भार्गव ने इस बार कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर साहू को 26 हज़ार से ज़्यादा वोटों से शिकस्त दी है। लेकिन इस बार भाजपा सत्ता से बाहर है, पर गोपाल भार्गव महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे| उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया है|