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क्यों गूगल क्रोम को बिकवाने की हो रही है कोशिश, अगर ये हुआ तो जानें क्या- क्या होगा?

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अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) ने फेडरल कोर्ट से अनुरोध किया है कि गूगल की मालिक कंपनी अल्फाबेट को अपना ब्राउज़र क्रोम बेचने का आदेश दिया जाए, ताकि इंटरनेट और विज्ञापन बाजार में गूगल की मोनोपोली खत्म हो सके।

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गूगल पर आरोप है कि उसने एपल, मोज़िला और अन्य कंपनियों के साथ डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन के लिए सौदे किए, जिससे प्रतिस्पर्धियों को बाजार में टिकने का मौका नहीं मिला। इससे नई कंपनियों के लिए ब्राउज़र और ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में पैर जमाना मुश्किल हो गया।

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गूगल ने तर्क दिया है कि अगर उसे क्रोम बेचने पर मजबूर किया गया तो इससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को नुकसान होगा। हालांकि, सवाल यह है कि क्या गूगल कोर्ट को अपने तर्कों से संतुष्ट कर पाएगा।

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अगर गूगल क्रोम बिकता है, तो यह सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा। इसका असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ेगा। माना जा रहा है कि इस कदम से गूगल के व्यवसाय, जो 2 ट्रिलियन डॉलर (करीब 169 लाख करोड़ रुपये) का है, पर भारी प्रभाव पड़ेगा।

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गूगल क्रोम की बिक्री से दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा का माहौल बेहतर हो सकता है। इससे बड़ी तकनीकी कंपनियों पर नकेल कसी जाएगी, और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और नए फीचर्स वाले उत्पाद देखने को मिलेंगे।

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अगर क्रोम बिकता है, तो उपयोगकर्ता एपल और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी ब्राउज़र का स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल कर सकेंगे। यह बाजार में विविधता लाएगा और इंटरनेट उपयोग के अनुभव को बदल देगा।

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गूगल के अलावा, अन्य तकनीकी कंपनियों जैसे एपल, अमेजन, और मेटा पर भी प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार और प्रतिद्वंदियों को दबाने के आरोप लगे हैं। यह कदम अन्य कंपनियों पर भी सख्ती का संकेत देगा।

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गूगल क्रोम की बिक्री का असर भारत पर भी पड़ेगा। भारतीय उपभोक्ताओं को इंटरनेट सर्फिंग के लिए अधिक विकल्प मिलेंगे, और विज्ञापन बाजार में बदलाव देखने को मिलेगा। इससे देश में तकनीकी नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।

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