भारतीय रेलवे मजदूर संघ ने निजीकरण के खिलाफ खोला मोर्चा, किया संघर्ष दिवस का आयोजन

शहडोल, अखिलेश मिश्रा । केंद्र सरकार द्वारा रेल और रेल कोच कारखानों के निगमीकरण और निजीकरण के खिलाफ भारतीय रेलवे मजदूर संघ ने आर पार की लड़ाई लेने का मन बना लिया है। हालही में भारत सरकार ने 109 रूटों पर 151 प्राइवेट ट्रेनों को चलाने का फैसला लिया है । भारतीय रेल भारत में जीवन रेखा की तरह है जो लाखों लोगों की जीविका के साथ-साथ आवागमन का साधन है । आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी संरचना को लाभ हेतु निजी हाथों में सौंपना गैर लोकतांत्रिक और आम जनता के साथ धोखा है। जिसके तहत 8 सितंबर को भारतीय रेलवे मजदूर संघ के नेतृत्व में सभी ट्रेड यूनियन और एसोसिएशन के साथ मिलकर पूरे देश भर में सभी जोनों के सभी मंडलों सभी शाखाओं में संघर्ष दिवस का आयोजन किया गया।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।