कमलनाथ के आव्हान पर किया कलेक्ट्रेट का घेराव, तीन घण्टे तक चला प्रदर्शन, चूडि़या की भेंट

छिन्दवाड़ा, विनय जोशी। पिछले 27 से 29 अगस्त तक छिन्दवाड़ा जिले में हुई भीषण बारिश एवं इससे प्रभावित हुए कृषि क्षेत्र सहित जनधन की हानि को लेकर जिला कांग्रेस ने महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है। साथ ही जिले में हुए हानि का संपूर्ण ब्यौरा प्रस्तुत किया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष गंगाप्रसाद तिवारी के नेतृत्व में संपूर्ण जिले से आए कांग्रेस कार्यकर्ता एवं किसानों ने जिलाध्यक्ष कार्यालय के समक्ष अपनी क्षतिग्रस्त फसलों के साथ अपना घोर प्रदर्शन किया।

कांग्रेस द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में जिले के पीडित किसानों एवं आमजन ने भी अपना सहयोग दिया। पीडित किसान एवं कांग्रेस पदाधिकारियों ने संपूर्ण जिले मे हुयी क्षति को लेकर ज्ञापन प्रस्तुत करने के लिये जिलाध्यक्ष को उपस्थित होने की मांग को लेकर कांग्रेसजन डटे रहे। लगातार तीन घंटो तक जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपने की मांग किये जाने के उपरांत भी कलेक्टर ने कांग्रेसजन के विनम्र अपील को नकारा। तीन घंटो के उपरांत जिला कलेक्टर ने स्वयं उपस्थित होकर जिला कांग्रेस अध्यक्ष से ज्ञापन प्राप्त कर समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। 5 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता उपस्थित हुए संपूर्ण जिले मे हुयी इस आर्थिक क्षति से प्रभावित किसानो एवं व्यापारियो सहित मजदूर वर्ग ने जिला कांग्रेस द्वारा आयोजित इस आंदोलन मे अपनी सहभागिता दी तथा मध्यप्रदेश शासन की तुगलकी नीतियो का विरोध करते हुये तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।