बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा के ट्वीट से मचा हड़कंप, कांग्रेसी नेता उस्मान पटेल की रासुका रद्द करने की मांग

इंदौर, आकाश धोलपुरे। बीजेपी के कद्दावर नेता और प्रखर प्रवक्ता उमेश शर्मा के एक ट्वीट के बाद इंदौर के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। दरअसल, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने एक ऐसा ट्वीट किया है जिसके बाद खुद बीजेपी का बैकफुट पर आना स्वाभाविक सा माना जा रहा है। बीजेपी नेता ने ट्वीट के जरिये लिखा है कि “मौजूदा परिस्थिति में उस्मान पटेल की रासुका पर पुर्नविचार करना चाहिए। संभव हो तो निरस्त की जाना चाहिए। #नर्मदे हर”

 

बता दें कि बीजेपी प्रवक्ता उमेश शर्मा तोल मोल कर बोल उक्ति के साथ ही अपनी खास शैली में वक्ता के तौर पर जाने जाते है। ऐसे में मोहर्रम पर इंदौर में उठे ताजिया जुलूस में आरोपी बनाये गए पूर्व बीजेपी पार्षद और वर्तमान कांग्रेसी नेता उस्मान पटेल के लिए बीजेपी नेता ट्विटर पर हमदर्दी खुद बीजेपी को भी खल रही है। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने के बाद न सिर्फ खजराना में कई लोगों पर कार्रवाई की गई थी और एसडीएम को शोकाज नोटिस सहित खजराना टीआई और क्षेत्रीय सीएसपी को भी जिला कलेक्टर ने फटकार लगाई थी। लेकिन बीजेपी प्रवक्ता के ट्वीट में मौजूदा परिस्थिति का जिक्र किया गया जिसके मायने सांवेर की कलश यात्रा से जोड़कर देखे जा रहे है, वही कांग्रेस कार्यकर्ताओ की जमा भीड़ पर की गई कार्रवाई से भी।

लिहाजा, भले ही सियासी गलियारों में बीजेपी नेता के ट्वीट को पार्टी लाइन से हटकर माना जा रहा हो। बता दें कि बीजेपी नेता उमेश शर्मा ने ही ताजिया मामले में उमड़ी भीड़ के बाद सार्वजनिक तौर पर लाव लश्कर के साथ गणेश विसर्जन की चेतावनी भी प्रशासन को दी थी, ऐसे में अचानक से उनके ह्रदय परिवर्तन से बीजेपी में हड़कंप मच गया है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।