धार्मिक आयोजनों में कोरोना संक्रमण के रोकथाम संबंधी नए निर्देश जारी

खण्डवा, सुशील विधाणी। धार्मिक कार्यक्रमों और त्यौहारों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम और बचाव के लिए गृह विभाग द्वारा नवीन दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। अपर मुख्य सचिव, गृह डॉ. राजेश राजौरा द्वारा जारी नए आदेशानुसार नवरात्रि के दौरान झांकी निर्माताओं और आयोजकों को संकुचित स्थान पर ज्यादा श्रद्धालु और दर्शक एकत्रित नहीं होने देना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित कराना होगा। विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमाओं और ताजिए की ऊंचाई संबंधी पूर्व में लगाये गये प्रतिबंध को गृह विभाग ने आज आदेश जारी करते हुए समाप्त कर दिया है। डॉ. राजौरा ने बताया है कि ऊंचाई संबंधी प्रतिबंध को खत्म करने के साथ ही आयोजन स्थलों पर पूर्व में जारी 10 बाय 10 फीट के स्थान पर 30 बाय 45 फीट आकार के पांडाल लगाये जाने की अनुमति प्रदान की गई है।

डॉ. राजौरा ने बताया कि मूर्ति विसर्जन संबंधी आयोजन समितियों द्वारा किया जायेगा। मूर्तियों को विसर्जन स्थल तक ले जाने के लिये अधिकतम 10 व्यक्तियों के समूह को ही अनुमति होगी। इसके लिये आयोजकों को पृथक से जिला प्रशासन से अनुमति लेना होगी। विसर्जन की विकेन्द्रीकृत व्यवस्था पर जिला शांति समिति तथा जिला क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी में विचार किया जा सकता है। धार्मिक-सामाजिक आयोजनों में चल-समारोह प्रतिबंधित रहेंगे। विसर्जन के लिये भी चल-समारोह की अनुमति नहीं होगी। डॉ. राजौरा ने बताया कि रावण दहन के पूर्व प्रतीकात्मक रूप से परम्परागत श्रीराम के चल-समारोह की अनुमति होगी। रामलीला तथा रावण दहन के कार्यक्रम का आयोजन कलेक्टर की पूर्वानुमति प्राप्त कर किया जा सकेगा। कार्यक्रम खुले मैदान में फेस मास्क तथा सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों के पालन के साथ ही आयोजित हो सकेगा। दुर्गा पूजा और रावण दहन कार्यक्रम में लाउड-स्पीकर बजाने के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।