भागवत की कथा समस्त मानवजाति के कल्याण के लिए: श्री शंकराचार्य

भिण्ड। भागवत की कथा समस्त मानवजाति के कल्याण के लिए है। परमात्मा भौगोलिक सीमाओं से बहुत बड़ा है। व्यक्ति और राष्ट्र में ईश्वर को बाँटा नहीं जा सकता, वह सनातन है। सनातन धर्म साम्प्रदायिक नहीं है, क्योंकि यह किसी व्यक्ति के द्वारा प्रेरित नहीं है।   उक्त प्रवचन व्यापार मण्डल धर्मशाला परिसर में चल रहे सात दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन के तीसरे दिन रविवार को पूज्यपाद अनंतश्री विभूषित काशीधर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराजश्री ने भक्त श्रोताओं को संबोधित किये। आज श्री शंकराचार्य से आशीर्वाद प्राप्त करने स्थानीय सांसद संध्या राय पहुंची।

श्री महाराज ने भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि किसी के आग्रह में आकर वैदिक धर्म का परित्याग नहीं करना चाहिये क्योंकि वेदों के बिना धर्म की सिद्धि नहीं होती। सनातन धर्म की परंपरा सम्पूर्ण विश्व की कल्याण के लिए है। आज के धार्मिक लोगों ने भगवत आराधना को भुला सा दिया है। भले आदमी बनो, स्वार्थ को छोड़कर परमार्थ में प्रवेश करो। इतने उपदेश चलते हैं लेकिन आदमी जैसे के तैसे बना रहता है। जब तक परिर्वतन की प्रक्रिया सामने नहीं आती, उपदेशों को क्रियान्वित नहीं किया जाता, तब तक कहने वाला कहता रहता है और सुनने वाला सुनता रहता है। उपदेश भी मन बहलाव का साधन बन जाता है। आज की समस्या का मूल, चित्त की दुर्बलता और मनोबल की कमी है। नैतिकता हमारे व्यवहार का विज्ञान है और अध्यात्म हमारे अन्तःकरण का विज्ञान है।


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