जैसे जैसे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की ‘वोट बचाओ यात्रा’ पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस यात्रा में मुस्लिम समुदाय की बड़ी भागीदारी स्पष्ट संकेत है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल वोट बैंक राजनीति और धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि विपक्ष वोटर अधिकार की बात करते हुए जनता को भ्रमित कर रहा है, जबकि असली उद्देश्य हिंदू वोटों को कमजोर करना है।
गिरिराज सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि कांग्रेस खुद 89 लाख लोगों के नाम हटवाने की मांग कर रही है। उन्होंने दावा किया कि जिनके नाम हटाने की बात की जा रही है, उनमें बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग शामिल हैं। वहीं, बांग्लादेशी और रोहिंग्या समुदाय के नाम जोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं। उनके मुताबिक यह साफ संदेश है कि कांग्रेस अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने के लिए हिंदू वोटों को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है।
इस बयान के अलावा गिरिराज सिंह ने झटका मीट को लेकर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हिंदू परंपरा में बलि के समय जानवर को एक झटके में मारने का प्रचलन है, जिसे झटका मीट कहते हैं। जबकि मुस्लिम समुदाय में जानवर को धीरे-धीरे काटने की परंपरा है। उन्होंने हिंदुओं से अपील की कि वे केवल झटका मीट ही खाएं और अपनी धार्मिक परंपरा का पालन करें। उन्होंने कहा, “मुसलमान जो खाना चाहते हैं खाएं, लेकिन हिंदू अपनी परंपरा और धर्म के अनुसार झटका मीट अपनाएं।”
गिरिराज सिंह के इन बयानों से बिहार की सियासत में धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा फिर से उभर गया है। विपक्ष लगातार बीजेपी पर हिंदू-मुस्लिम और ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाता रहा है, जबकि बीजेपी समर्थक इसे सनातन परंपरा और धर्म की रक्षा का मामला बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान आगामी चुनावों में राजनीतिक तापमान बढ़ा सकता है। बिहार चुनावों से पहले धर्म और वोटर सूची का मुद्दा चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभा सकता है और राजनीतिक दल इसे अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकते हैं।





