बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने बड़ा सियासी कदम उठाया है। जहां उन्होंने महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर सबको चौंकाया, वहीं मंगलवार को पांच राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन की औपचारिक घोषणा भी कर दी। अब चर्चा इस बात की है कि ये पांच पार्टियां कौन हैं और क्या इनका तेज प्रताप को कोई राजनीतिक फायदा मिलेगा?
कौन हैं ये पांच सहयोगी दल?
तेज प्रताप यादव ने जिन पांच दलों से गठबंधन किया है, वे सभी छोटे और नए दल हैं, जिनका 2020 के चुनाव में कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।
विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP): इसके अध्यक्ष प्रदीप निषाद हैं, जो पहले मुकेश सहनी की VIP पार्टी में थे। यूपी चुनाव के बाद अलग होकर VVIP बनाई।
भोजपुरिया जन मोर्चा (BJM): इसके नेता भरत सिंह हैं, जो भोजपुर के रहने वाले हैं और स्थानीय मुद्दों पर राजनीति करते रहे हैं।
प्रगतिशील जनता पार्टी (PJB): राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोरंजन श्रीवास्तव हैं, जो पहले बीजेपी में रह चुके हैं।
वाजिब अधिकार पार्टी (WAP): इसके अध्यक्ष विद्यानंद राम हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था।
संयुक्त किसान विकास पार्टी: यह भी एक नई पार्टी है, जो किसानों के मुद्दों को लेकर सामने आई है।
RJD को होगा नुकसान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का यह कदम आरजेडी को सीधा नुकसान पहुंचा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडे कहते हैं कि “तेज प्रताप भले अब आरजेडी में नहीं हैं, लेकिन वो लालू यादव के बेटे हैं। उनका जनता के बीच एक चेहरा है। ऐसे में उनका अलग होना और गठबंधन बनाना महागठबंधन के वोटबैंक को थोड़ा-बहुत प्रभावित कर सकता है।”
क्या दिला पाएंगे ये दल जीत?
हालांकि, इन पांच दलों का खुद का कोई बड़ा जनाधार नहीं है और न ही पिछली विधानसभा में कोई मौजूदगी रही है। इसलिए सवाल ये उठता है कि तेज प्रताप यादव इन दलों को ऊंचाई देंगे या ये दल तेज प्रताप को? फिलहाल सभी दल तेज प्रताप की छवि और लालू यादव के नाम पर मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।





