खुशखबरी! मां वैष्णों देवी दरबार में अब हर दिन 7 हजार नहीं बल्कि 15 हजार श्रद्धालुओं के गूंजेंगे जयकारे

जम्मू, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना काल ने देश की रफ्तार पर गेहरा असर डाला था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण भगवान के द्वार तक बंद हो गए थे। वहीं धीरे-धीरे अब मंदिरों के पट खुलते जा रहे है। देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल वैष्णों देवी के धाम से एक खुशखबरी आ रही है। अब मां वैष्णों देवी के दरबार में हर रोज 7 हजार भक्तों के नहीं बल्कि 15 हजार श्रद्धालुओं के जयकारे गूंजेंगे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने माता के भक्तों को सौगात देते हुए प्रतिदिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा कर दिया है।

बताया जा रहा है कि अभी तक हर दिन अधिकतम 7 हजार श्रद्धालु मां वैष्णों देवी के दर्शन करते थे, जिसको बढ़ाकर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 15 हजार कर दी है। वहीं प्रशासन ने कोरोना के नियम के हिसाब से 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन की शर्त को भी हटा दिया है। बता दें कि हाल ही में गए नवरात्रि त्योहार में माता रानी के 39 हजार लोगों ने दर्शन किए थे।

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वहीं इस पूरी जानकारी को लेकर  माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिरकारियों का कहना है कि संख्या जरुर बढ़ाई गई है पर कोरोना के नियमों में कोई ढ़ील नहीं बरती जाएगी। श्रद्धालुओं को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान देना पड़ेगा। श्रद्धालुओं को कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियम जैसे मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना होगा। श्राइन बोर्ड द्वारा कोरोना वायरस के रोकथान को लेकर कटरा से लेकर माता के भवन तक खास इंतजाम किए गए है।

बता दें कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए और उसके रोकथाम के चलते वैष्णों देवी के पट बंद कर दिए थे। माता वैष्णों देवी को पट दोबारा 16 अगस्त को खोले गए। वहीं पट खुलने के शुरुआत में, प्रशासन ने प्रतिदिन 2,000 तीर्थयात्रियों  माता के दर्शन करने के लिए अनुमति दी थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के बाहर के 100 लोग भी शामिल थे। बोर्ड के अधिकारियों का कहना था कि यात्रा पंजीकरण काउंटरों पर लोगों को इकट्ठा करने से बचने के लिए तीर्थयात्रियों का पंजीकरण ऑनलाइन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्धारित सभी एसओपी का पालन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए भवन, अधुक्वारी, कटरा और जम्मू में बोर्ड की आवास की सुविधाएं खुली हुई हैं।

अधिकारियों ने कहा कि बोर्ड द्वारा दर्शन के लिए स्थापित की गई सभी अन्य पहले वाली सुविधाएं जैसे बैटरी से चलने वाले वाहन, यात्री रोपवे और हेलीकॉप्टर सेवाएं भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों और अन्य एहतियाती उपायों का सख्ती से पालन करते हुए सुचारू रूप से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि तारकोटे मार्ग और सांचीघाट में प्रसाद केंद्र में मुफ्त सामुदायिक रसोई की सुविधा है, इसके अलावा ट्रैक और भवन में भजनालय भी तीर्थयात्रियों के लिए चालू किए गए हैं।

 


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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