जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) में 12 वर्षों के संघर्ष को उस समय बड़ी राहत मिली जब कैट (CAT) ने राज्य के 5 आईपीएस (IPS) के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। कैट ने राज्य शासन की अपील को खारिज करते हुए 1995 बैच के 5 आईपीएस अफसर को एक जनवरी 2008 से ग्रेड पे देने का आदेश दिया। इसके साथ ही साथ पांचों आईपीएस के एडीजी (ADJ) बनने का रास्ता भी साफ हो गया।
बुधवार को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT)ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए 12 वर्षों के संघर्ष पर विराम लगा दिया। मध्य प्रदेश के पांच अफसरों को बड़ी राहत देते हुए कैट ने शिवराज सरकार को आदेश दिया कि पांचों आईपीएस को 1 जनवरी 2008 से 2010 तक का बकाया ग्रेड पे दिया जाए।
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दरअसल पांचों आईपीएस अफसरों के रोके गए ग्रेड पर के लिए राज्य शासन देरी का कोई कारण नहीं दर्शा पाई। राज्य शासन ने कहा कि आईपीएस केडर रिव्यू (IPS Cadre Review) देर से हुआ। जिसकी वजह से उनका ग्रेड पे (Grade Pay) रोका गया था। जिसे बात सुनवाई करते हुए शिवराज सरकार को यह आदेश दिया गया है कि पांचों आईपीएस अफसर को एक जनवरी 2008 से सिलेक्शन ग्रेड दिया जाए।
वहीं इस मामले में अफसर पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले का हवाला देते हुए दलील दी थी कि सरकार की गलती का नुकसान लोक सेवक को नहीं होना चाहिए। वही वकील ने कहा कि सरकार की इस गलती की वजह से पांचों आईपीएस अधिकारी एडीजी पद पर प्रोन्नत नहीं हो पाए।
ज्ञात हो कि पांचों आईपीएस अफसर मीनाक्षी शर्मा, योगेश देशमुख, चंचल शेखर, वेंकटेश्वर राव और जयदीप प्रसाद को केडर रिव्यू नहीं होने की वजह से 2008 के ग्रेड पे का भुगतान राज्य शासन द्वारा नहीं किया गया था। जिसके बाद 2010 से उन्हें ग्रेड पे दिया गया था। इस वजह से उन पांचों अवसर का ग्रेड पे जूनियर आईपीएस से भी कम हो गया था। जिसके बाद कैट के इस आदेश के साथ ही आईपीएस के एडीजी बनने का रास्ता भी साफ हो गया।