आखिर शिवराज द्वारा ब्लैक लिस्टेड कंपनी पर कमलनाथ क्यों थे मेहरबान! अब संकट में किसान

Kashish Trivedi
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खरगोन, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में शासन और सत्ता का खेल आम जनता के लिए मुसीबतें खड़ी करता है। अब ऐसे ही मुसीबत का एक वाकया प्रदेश के खरगोन (khargone) जिले में देखने को मिल रहा है। जहां पिछले 2 सालों से 550 करोड़ रुपए की सिंचाई योजना (Irrigation scheme) का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। हालांकि इस मामले में गलती पिछली सरकार की कही जा रही है।

दरअसल 2018 में जिस कंपनी को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने ब्लैक लिस्टेड (black listed) किया था। इतना ही नहीं उसके 55 करोड की संपत्ति भी राजसात की थी। उसी कंपनी को 2020 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार (kamalnath government) ने 4000 करोड़ रुपए की लागत से कालीसिंध फेज टू का काम सौंप दिया था।

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जिसके बाद स्थिति ऐसी है कि उसी कंपनी द्वारा जहां जलाशय का निर्माण करना था। वहां टैंक बिछा दिया गया। इसके साथ ही 10 वर्ग फीट का टैंक खड़ा करके कंपनी भाग निकली। हालांकि इस मामले में किसानों को जमीन अधिग्रहित का मुआवजा दिया गया लेकिन एक बार फिर से बंद प्रोजेक्ट को नई मंजूरी मिली है।

जिसके बाद नई कंपनी को बंद पड़े प्रोजेक्ट के लिए 110 करोड़ की नई मंजूरी मिली है। नई कंपनी कंस्ट्रक्शन निर्माण का काम पूरा करेगी। इसके लिए किसान स्वयं इसकी निगरानी करेंगे। वही 4000 करोड़ की लागत से कालीसिंध फेज टू का काम सौंपने पर मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र सिंह सिसोदिया ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कालीसिंध का काम एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को सौंप कर कमलनाथ ने गलती की है। अब उन्हें किसानों को जवाब देना चाहिए।

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बता दे कि शिवराज सरकार के 550 करोड और कमलनाथ सरकार के 4000 करोड रुपए की लागत से कालीसिंध का जो निर्माण होना था। उसमें गुणवत्ता के पाइप ना डाले जाने से कई जगह से लीकेज के कारण किसानों को पूरी क्षमता से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है। वही 55 करोड़ की ट्रांसमिशन लाइन नहीं होने के कारण अतिरिक्त पंपिंग में बिजली खर्च हो रही है। साथ ही सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। इसके अलावा अब तक दो नदियों पर पुल के निर्माण नहीं कराए गए। इस मामले में माना जा रहा है कि पुरानी कंपनी के अधूरे काम को पूरा करने के लिए 2 साल का वक्त लगेगा।

बता दें कि 2018 में खरगोन उद्यान सिंचाई योजना के लिए हैदराबाद की मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग को 550 करोड रुपए का काम सौंपा गया था। जिसके लिए 77 फ़ीसदी राशि 425 करोड़ का भुगतान भी कर दिए गए थे लेकिन किसान संगठन के कड़े विरोध के बाद और पाइप लीकेज की शिकायत पर शिवराज सरकार ने मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग हैदराबाद को टर्मिनेट कर ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। इसके साथ ही निर्माण एजेंसी से 55 करोड़ रुपए की वसूली की थी। हालांकि कोई कुछ भी कहे पर सरकारी योजना और उनके इस तरह कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करके नई कंपनियों को मंजूरी देना राज्य शासन के लिए आम बात हो। लेकिन इसका खामियाजा कहीं ना कहीं आम जनता के लिए चुनौती बनी हुई है।


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