गरीब राधाबाई के घर भोजन कर प्रदेश के मुखिया ने कहा आत्मा तृप्त हो गई , अचानक पहुंचे थे हम्माल परिवार के घर

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान इंदौर पहुंचे। अलग अलग कार्यक्रमों के बीच बुधवार को जब उन्हें भूख का अहसास हुआ तो वे भागीरथपुरा की राधाबाई के घर पहुंचे। हम्माली और मजदूरी कर गुजर बसर करने वाली राधाबाई के परिवार ने सीएम शिवराज और बीजेपी नेताओं का आत्मीयता के साथ स्वागत किया और स्वादिष्ट भोजन परोसा। भोजन के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने राधा बाई से उनके घर की गुज़र बसर पूछी। राधा बाई ने बताया कि पति मज़दूरी करते हैं और परिवार में एक बेटा और बेटी है।

सीएम ने कलेक्टर को दिए निर्देश

सीएम शिवराज द्वारा पूछे जाने पर राधा बाई ने बेटी की स्टोन की समस्या बताई जिसके बाद सीएम ने कलेक्टर मनीष सिंह को मौक़े पर ही बेटी सहित परिवार के स्वास्थ्य परीक्षण और आवश्यक इलाज सुनिश्चित करायें जाने के निर्देश दिए। टीन की छत वाले इस कच्चे घर में पहुँचे मुख्यमंत्री चौहान ने कलेक्टर को शासन की योजना के तहत राधा बाई का पक्का मकान बनाने के भी निर्देश दिए।

आत्मा तृप्त हो गई- सीएम

राधा बाई ने आज अपनी बेटियों हेमलता और संध्या के साथ मिलकर मुख्यमंत्री के लिए खाना बनाया था। उन्होंने घर में आलू बटले की सब्ज़ी, दाल चावल और रोटी बनायी थी और मीठे में हलवा बनाया था। सांसद शंकर लालवानी और सहित अन्य जनप्रतिनिधि ही इस दौरान उपस्थित थे। अपनत्व और प्रेम से परोसे गए भोजन को ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्वादिष्ट भोजन कर आज आत्मा तृप्त हो गई।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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