जोधपुर , डेस्क रिपोर्ट। कोरोना पर नियंत्रण और बचाव के लिए सरकारी स्तर पर बहुत प्रयास किये जा रहे हैं जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं लेकिन निजी तौर पर भी कुछ लोग कोरोना से बचाव के नए नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। ऐसे ही एक इंजीनियरिंग के छात्र ने एक सॉफ्टवेयर बनाया है जिसकी मदद से भीड़ में बिना मास्क घूमने वाले लोगों की पहचान हो सकेगी। छात्र ने सॉफ्टवेयर बनाकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी है। यदि शासन स्तर पर इसकी स्वीकृति मिलती है तो इसका प्रयोग सार्वजनिक स्थानों पर किया जा सकेगा और बिना मास्क लगाए घूमने वालों पर नजर रखी जा सकेगी।
कोरोना महामारी के समय को जहाँ कुछ लोगों ने तनाव, डर और भय के रूप में लिया वहीं कुछ लोगों ने इसका सार्थक सकारात्मक इस्तेमाल भी किया। ऐसे ही एक छात्र हैं राजस्थान के जोधपुर जिले में रहने वाले रोहन दुबे। हैदराबाद के बिट्स पिलानी में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर के तृतीय वर्ष के छात्र रोहन दुबे ने लॉकडाउन और कोरोना वायरस के काल में खुद को खाली बिठाए नहीं रखा, उन्होंने अपनी पढ़ाई और बुद्धि कौशल का प्रयोग कर कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर को तैयार किया जिसके माध्यम से भीड़ भरे इलाके में बिना मास्क पहने घूमने वालों को डिटेक्ट किया जा सकता है। कई प्रयोगों के बाद जब उन्हें तसल्ली हुई कि उनका सॉफ्टवेयर का प्रयोग सफल है तब प्रदेश के प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा और उसमें सॉफ्टवेयर की जानकारी दी है उन्होंने मुख्यमंत्री अपने सॉफ्टवेयर का डेमो देने का अनुरोध किया है।
सॉफ्टवेयर से ऐसे होगी निगरानी
दरसअल शहरों में यातायात नियंत्रित करने और यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर निगरानी रखने के लिए पुलिस ने कई स्थान पर उच्च गुणवत्ता के कैमरे लगा रखे हैं। इनके माध्यम से यातायात नियमों को उल्लंघन करने वाले चालकों के ई-चालान काटे जाते हैं। इन कैमरों का नियंत्रण पुलिस कंट्रोल रूम से होता है यदि रोहन के बनाये सॉफ्टवेयर को भी इससे जोड़ दिया जायेगा तो यह सॉफ्वेयर सड़कों पर बगैर मास्क घूम रहे लोगों को चिह्नित कर लेगा।इसकी खासियत ये है कि चाहे कितनी भी भीड़ हो इस सॉफ्टवेयर की मदद से बगैर मास्क लगाए लोगों की पहचान की जा सकती है। इसके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि कितने लोगों ने मास्क लगा रखा है और कितनों ने नहीं। इसके आधार पर मास्क नहीं पहनने वालों को ई-चालान आसानी से काटे जा सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर की एक और विशेषता ये है कि यह किसी भी तरह के और अलग-अलग रंग के मास्क की भी पहचान कर सकता है।
चालान के डर से लोगों को मास्क लगाने की आदत पड़ेगी
रोहन दुबे ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे पत्र में बताया कि किस तरह राजस्थान के प्रत्येक चौराहे पर जहां सीसीटीवी कैमरे पहले से लगे हुए हैं यदि उसमें इस सॉफ्टवेयर को जोड़ दिया जाए तो जो भी बिना मास्क के लोग हैं उनको ई चालान भेजा जा सकता है इससे लोगों में मास्क लगाने की आदत पड़ेगी। रोहन की इस उपलब्धि पर उनके पिता कृष्ण गोपाल दुबे और माता सुषमा दुबे बहुत खुश हैं वहीँ रोहन को जानने वाले और स्थानीय लोगों का ये मानना है कि यदि इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग सिर्फ राजस्थान में नहीं बल्कि पूरे देश में किया जाता है तो चालान के भय से लोग मास्क लगाना शुरू कर देंगे और लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सकेगा।
मास्क नहीं पहनने वाले लोग दूसरों के लिए थे खतरनाक
कोरानाकाल में कॉलेज बंद होने के कारण रोहन इन दिनों दूसरे छात्रों की तरह ही अपने घर जोधपुर में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। रोहन भी मानते हैं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण से बचाव के लिए सबसे अहम उपाय मास्क ही है। केंद्र और राज्य सरकार बार-बार लोगों से मास्क पहनने की अपील कर रही है। साथ ही मास्क नहीं पहनने वालों से जुर्माना तक वसूल रही है। ताकि लोगों में जागरूकता आए और वे बाहर निकलते समय हर समय मास्क पहनें। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण का फैलाव काबू में नहीं आ रहा है। इसे ध्यान में रख उन्होंने एक सॉफ्टवेयर बनाने का निश्चय कर उस पर काम शुरू किया और इसे मूर्त रूप देकर ही थमे। अब उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उन्हें बुलाएंगे हुए वे वहां जाकर डेमो देकर अपने सॉफ्टवेयर की उपयोगिता साबित करेंगे।
बहरहाल ये अभी तय नहीं है कि रोहन के सॉफ्टवेयर को शासन स्तर पर स्वीकृति मिलती है या नहीं लेकिन रोहन दुबे के प्रयास ने ये साबित कर दिया है कि यदि आप विपरीत परिस्थितियों में भी मन को शांत रखकर कुछ सकारात्मक प्रयास करते हैं तो उसके परिणाम सुखद ही होते हैं।