Bhind: असहाय और अनाथ बच्चों के लिए गोविंद बने Govind, करवाई ये व्यवस्था, मदद की गुहार 

Kashish Trivedi
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भिण्ड, गणेश भारद्वाज। दीनहिं सबको लखत है दीनहि लहे न कोय, जो रहीम दीनहि लखे तो दीनबंधु सम होय। सुप्रसिद्ध कवि रहीम की यह पंक्तियां बीते रोज जिले के लहार विधानसभा के अमाहा गांव में प्रासंगिक हो गई। दरअसल Bhind के लहार में लगातार सात बार से विधायक चुनते आ रहे डॉ गोविंद सिंह (Govind singh) अक्सर अपने क्षेत्र का दौरा करने जाते हैं बीते रोज भी वह दबोह थाना क्षेत्र के अमहा गांव में कुछ कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए पहुंचे। यहां उनकी नजर गांव में ही भीख मांगते कुछ बच्चों पर पड़ गई। नेता जी ने बच्चों को रोककर उनसे पूछा कि तुम भीख क्यों मांग रहे हो तो बच्चों ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में हमारे मम्मी और पापा दोनों ही खत्म हो गए हैं। इसकी वजह से अब हमारा कोई सहारा नहीं है हम सभी पांचों भाई बहन अब भीख मांग कर ही गुजारा करते हैं।

बाल्मिक परिवार के बच्चों जिनके पिता राघवेंद्र बाल्मीकि और मां गिरजा कुछ महीने पहले स्वर्गवासी हो गए तो सभी पांच अबोध बच्चे 7 वर्षीय निशा, साढ़े पांच वर्षीय बाबू, साढ़े तीन वर्षीय मनीषा, 2 वर्षीय अनीता व सात माह के गोलू अनाथ हो गए। इन अनाथ और असहाय बच्चों को देखकर विधायक डॉ गोविंद सिंह ने न केवल उन्हें तात्कालिक दो हजार की सहायता उपलब्ध करवाई बल्कि बड़ी बेटी निशा के खाते को संचालित करवा कर उसके खाते में 20 हजार भी डलवाए इसके अलावा अमहा गांव के सरपंच और सचिव से भी 10 हजार 7 वर्षीय निशा के खाते में की गुजारिश की।

साथ ही डॉ गोविंद सिंह ने वहीं से Bhind के जिला कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस को फोन किया और उनसे इन बच्चों के लिए अन्य शासकीय सुविधाओं और शासकीय योजनाओं का लाभ दिलवाने के लिए भी कलेक्टर से गुजारिश की। बच्चों के हर प्रकार के रखरखाव की जिम्मेदारी गांव के सरपंच को सौंपी और उनसे कहा कि इनको कभी कोई परेशानी नहीं आना चाहिए। यदि कोई कभी मेरे लायक मदद हो तो वह मुझे अवश्य बताना। स्कूल खुलने पर इन बच्चों को स्कूल भेजने की व्यवस्था भी करवाने की जिम्मेदारी सरपंच को सौंपी।

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लहार से अनवरत सात बार विधायक चुने जाने वाले डॉ गोविंद सिंह की यही खासियत है कि वे अपने क्षेत्र के असहाय निर्बल गरीबों के प्रति सदैव संवेदनशील रहते हैं और उसी का परिणाम है कि वे लगातार पिछले 7 चुनाव 35 वर्षों से जीतते चले आ रहे हैं । उनका मुकाबला करने के लिए कई बार कई तक जांच मैदान में उतरे यहां तक कि क्षेत्र के एक बड़े धार्मिक बाबा रविशकर (रावतपुरा सरकार) ने भी अपनी पूरी दम उन को हराने में और अपने चेले रमाशंकर सिंह को जिताने में लगा दी। लेकिन उसके बावजूद भी ऐसे संवेदनशील व्यक्तित्व के डॉक्टर गोविंद सिंह को हरा पाना उनके लिए मुश्किल साबित हो गया। गोविंद सिंह सात बार विधायक विधायक बनकर अब तक अजेय बने हुए हैं।

गोविंद सिंह कांग्रेस के बड़े लीडर है प्रदेश में वे बड़े नेताओं में शुमार है प्रदेश की विधानसभा में उनकी तूती बोलती है। हालांकिउनकी विशेषता यह है कि वे अपने लहार क्षेत्र के दबोह आलमपुर मिहोना इत्यादि छोटे-छोटे कस्बों के अलावा दूरस्थ गांव के लोगों से सदैव जुड़े रहते हैं और उनके सुख-दुख में सदैव शामिल होते हैं। उनके बारे में लोग कहते हैं कि गोविंद सिंह अपने जीवन काल में प्रदेश स्तर के नेता कभी नहीं बन पाए क्योंकि उनका मोह दबोह आलमपुर मिहोना और मछंड में बसा हुआ है।

वे इस क्षेत्र के लोगों के अधिकारों और समस्याओं के निदान के लिए सदैव शासन प्रशासन से लड़ते हुए दिखाई देते हैं। हालांकि पार्टी ने इस बार उन्हें जिले की गोहद और दतिया के भांडेर की जिम्मेदारी सौंपी थी जिसमें से भांडेर के प्रत्याशी फूल सिंह बरैया तो एक सैकड़ा से कम वोटों से हार गए। गोहद विधानसभा जिताने में डॉक्टर गोविंद सिंह सफल साबित हुए। जिससे वे जिले और प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार होने लगे।


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