निकाय चुनाव से पहले CM शिवराज का बड़ा ऐलान, कहा- सवर्णों के लिए आयोग बनाएगी सरकार

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय का चुनाव होने है। इसके पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना दांव खेला है और सवर्णों को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर रीवा (Rewa) में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति (scheduled caste), अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe), अन्य पिछड़ा वर्ग (Other backward classes) और अल्पसंख्यक आयोग (Minority commission) की तरह ही सवर्ण आयोग (Savarna commission) भी बनाएगी। यह आयोग सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए कार्य करेगी।

सीएम ने चुनाव से पहले किया बड़ा ऐलान

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में अगर जातीय समीकरण (Ethnic equation) की बात की जाए तो करीब 22% सवर्ण रहते है, जिनमें से ज्यादातर लोग बड़े शहरों में निवासरत है। ऐसे में आगामी चुनाव को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों (Political parties) का झुकाव सवर्णों (Savarna) की ओर होगा। जिससे पार्टी को राजनैतिक लाभ मिलेगा। बता दें कि मध्यप्रदेश में सरकार (Government of Madhya Pradesh) द्वारा गरीब सवर्णों को 10% (10% reservation for poor Savarna) का लाभ पहले से दिया जा रहा है।

सवर्ण आयोग बनाया जाएगा : सीएम शिवराज

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कहा की सामाजिक (Social) और आर्थिक विषमता (Economic disparity) को मिटाने के लिए सरकार द्वारा सवर्ण आयोग बनाया जाएगा। क्योंकि सवर्णों (Savarna) को भी समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए। जानकारी के अनुसार जब एट्रोसिटी एक्ट (Atrocity act) को लेकर विवाद शुरू हुआ था, तो 2018 में सवर्णों द्वारा 230 सीटों पर उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। जिसके बाद बीजेपी ने सभी को साथ में लेकर आगे बढ़ने की योजना बनाई।

सीएम ने दिए थे कई आश्वासन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने कई ऐलान किए हैं और आश्वासन भी दिया है, लेकिन कोरोनावायरस के चलते उन्होंने कहा की कई महीने तक खजाने में कोई पैसा नहीं आया है। ऐसे मेरे पास प्रस्ताव आया था कि कर्मचारियों की वेतन आधी कर दी जाए, लेकिन मैंने कहा कि वेतन में कोई कटौती नहीं की जाएगी। हालांकि सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश (Recommendation of Seventh Pay Commission) के तहत मिलने वाले एरियर (Arrier) पर रोक लगाई जा सकती है, लेकिन इस पर भी परमानेंट रोक नहीं लगेगी।

विधायक त्रिपाठी ने रखी थी मांग

सितंबर 2020 को कैबिनेट की बैठक में शिवराज सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया था। जिसे लेकर मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी (MLA Narayan Tripathi) ने सवर्णों को भी संवैधानिक दर्जा दिए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पूरे देश में सभी वर्गों के संरक्षण और संवर्धन के लिए आयोग बनाए गए हैं, ऐसे में सवर्ण समाज के लिए भी आयोग बनना चाहिए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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