भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में एक तरफ जहां शिवराज सरकार (shivraj government) अधिकारियों की अनियमितता के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार के नाक के नीचे ही करोड़ों के भुगतान कर लापरवाही की जा रही हैं। दरअसल ऐसा ही एक मामला अब जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) में सामने आया हैं। जल संसाधन विभाग में लापरवाही के उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंप दी है।
दरअसल संसाधन विभाग द्वारा सिंचाई परियोजना के लिए भुगतान के तारीखों से 3 साल पहले ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया है। इस मामले में 3333 करोड़ रुपए की परियोजना के बदले 877 करोड़ से अधिक का भुगतान जल संसाधन विभाग द्वारा कर दिया गया है। जबकि आरोप यह है कि कई जगह अब तक सिंचाई परियोजना के कार्य शुरू भी नहीं किए गए।
मामले में जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव का कहना है कि विभाग द्वारा अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच 7 जल परियोजना के लिए 3333 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। सिंचाई परियोजना में बांध का निर्माण कर जलाशय सहित उत्तम कार्यान्वन का कार्य सौंपा गया था। जिसके लिए राज्य शासन की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं करने के बावजूद प्रमुख अभियंता ने अपने स्तर से मुख्य अभियंताओं को भुगतान के निर्देश दे दिया।
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इसके साथ ही राज्य शासन के भुगतान की शर्त को पूरी तरह से शिथिल कर दिया गया। वही बिना कार्य शुरू हुए अभियंताओं द्वारा अधिकारियों को सामग्री के लिए भुगतान कर दिया गया। जिन बांध पर परियोजना का काम होना था उसमें हनोता बांध, बंडा बांध, निर्गुढ़ बांध, गोंड बांध और घोघरी सहित वर्धा बांध पर परियोजनाओं का कार्य होना भी शामिल थे।
जबकि भुगतान के आधार पर इन बांधों पर एवरेज 50 फ़ीसदी कार्य ही पूरा हुआ है। वहीं शासन के नियम को शिथिल कर स्वयं के स्तर से भुगतान के आदेश जारी करने को अनियमितता की श्रेणी में मानते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस मामले की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को सौंप दी गई है। इसके साथ ही ईओडब्ल्यू को जल्द ही जांच की रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।