महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज किया मराठा आरक्षण

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महारष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को बड़ा  झटका दिया है।  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने सरकार के 50 प्रतिशत मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के फैसले को ख़ारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण (Maratha Reservation) की तय सीमा 50 प्रतिशत से बाहर जाकर 10 प्रतिशत आरक्षण देना समानता के अधिकार का हनन है और आरक्षण कानून का उल्लंघन भी।  इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के 2018 के कानून को भी ख़ारिज कर दिया।

दरअसल महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने मराठा समुदाय के लोगों को 50 प्रतिशत की सीमा के बाहर जाकर 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस पर फैसला सुनाते हुए सरकार के फैसले को ख़ारिज कर दिया। पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति  एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट शामिल थे।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने कहा कि मराठाओं को आरक्षण (Maratha Reservation) के लिए 50 प्रतिशत की सीमा को पार करने के लिए गायकवाड़ आयोग ना ही हाईकोर्ट के पास कोई पुख्ता आधार था।  इसलिए हमें नहीं लगता कि आरक्षण की सीमा को लांघने के लिए कोई अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हुई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने कहा कि मराठा समुदाय के लोगों को शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ा नहीं कहा जा सकता ऐसे में उन्हें आरक्षण (Maratha Reservation)  दे दायरे में लाना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण (Maratha Reservation) की तय सीमा 50 प्रतिशत से बाहर जाकर 10 प्रतिशत आरक्षण देना समानता के अधिकार का हनन है और आरक्षण कानून का उल्लंघन भी।  इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के 2018 के कानून को भी ख़ारिज कर दिया।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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