आजाद के बयान पर भाजपा का तंज, नबी की गुलामी करते तो भला होता  

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद (Former Union Minister Ghulam Nabi Azad) के अपनी पार्टी के नेताओं को पांच सितारा संस्कृति (Five star culture) छोड़ने के बयान पर भाजपा ने चुटकी ली है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मीडिया प्रभारी गोविन्द मालू (Govind maloo) ने आजाद के बयान पर तंज कसते हुए ट्वीट किया है। भाजपा नेता ने अपने ट्विटर पर लिखा ” गुलाम नबी अब क्यों कह रहे हैं कि कांग्रेस का जमीनी जुड़ाव खत्म हो गया, हार का कारण फाइव स्टार कल्चर है।  वे नबी की गुलामी करते तो भला होता, अभी तक गांधी परिवार की गुलामी में लगे रहे ?फेसबुक ,ट्विटर पर दिखे कांग्रेस के वर्चुअल योद्धा , फेस टू  फेस कहीं नजर नहीं आये,हार गए अब स्यापा।

दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि बिहार सहित कई राज्यों में हुए चुनावों के परिणामों ने हमें ये स्पष्ट कर दिया है कि हमारे नेताओं का जमीनीं जुड़ाव खत्म हो गया है , इसके लिए मैं पार्टी की लीडरशिप को दोषी नहीं मानता क्योंकि हर किसी को अपनी पार्टी से प्यार होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि आज हमारे नेताओं में पांच सितारा संस्कृति घुस चुकी है इसलिए परिणाम सामने है।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रत्येक नेता को विधानसभा क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए , केवल दिल्ली जाना और पांच सितारा होटलों में रहना और दो तीन बाद  दिल्ली से लौट जाना सिर्फ पैसे की बर्बादी है , इससे चुनाव नहीं जीते जा सकते।  पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पार्टी के ढांचे में आमूल चूल परिवर्तन की मांग की उन्होंने पार्टी की  राज्य, जिला और ब्लॉक इकाइयों में सभी पदों के लिए चुनाव करने की सलाह दी।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज हमारी पार्टी का ढांचा ढह गया है हमें इसे फिर से खड़ा करने की जरुरत है फिर कोई नेता उस स्ट्रक्चर के हिसाब से चुना जाता तो ये तरीका काम करेगा , लेकिन यह कहना कि सिर्फ नेता बदलने से हम बिहार या यूपी एमपी जीत लेंगे तो यह गलत है एक बार जब हम सिस्टम बदल देंगे तो ऐसा होने लगेगा। आजाद  ने  कहा हम पार्टी के लिए फिक्रमंद हैं इसलिए एक सुधारवादी के रूप में मुद्दा उठा रहे हैं ना कि विद्रोही के रूप में। गौरतलब है कि  गुलाम नबी आजाद संगठन में बदलाव के लिए पिछले दिनों पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में से एक हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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