भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 28 सीटों पर उपचुनाव (By-election) हो रहा है। हर सीट महत्वपूर्ण है लेकिन ग्वालियर अंचल (Gwalior Zone) की 6 सीटों पर सभी की निगाहें टिकी है, क्योंकि इन क्षेत्रों में वर्तमान भाजपा (BJP) के प्रदेश सरकार के मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। खास बात यह है कि मंत्रियों के क्षेत्र पर मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
इससे इन क्षेत्रों में मुकाबला रोचक होता जा रहा है। सीएम से लेकर सभी नेता अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले मंत्रियों के क्षेत्र में बार-बार जा रहे हैं, क्योंकि यदि इन मंत्रियों के साथ ऊंच-नीच होती है तो दिग्गज नेताओं के कद पर भी असर पड़ेगा। इसलिए सभी मंत्रियों के क्षेत्र पर खास नजर है। भाजपा ने उन्हें मंत्रियों व पूर्व विधायकों को प्रत्याशी बनाया है जो कांग्रेस (Congress) से आए हैं। क्योंकि कांग्रेस के उम्मीदवार रहते इन लोगों ने बड़े अंतर से हराया था। ऐसे में भाजपा के नेताओं को जीत के साथ-साथ 2018 के जीत अंतर को भी बनाए रखने का दबाव है। इसलिए भी वह मंत्रियों के क्षेत्र में लगातार दौरे कर रहे हैं।
इन सीटों पर मुकाबला रोचक
सुमावली : यहां से पीएचई मंत्री ऐंदल सिंह कंसाना (PHE Minister Endal Singh Kansana) चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में करीब 13 हजार से अधिक मतों से कंसाना यहां से जीते थे।
क्या है खास : ऐंदल सिंह कंसाना का मुकाबला कांग्रेस के अजब सिंह (Ajab Singh) से है। अजब सिंह व कंसाना तीसरी बार आमने सामने हैं।
दिमनी : यहां से कृषि राज्यमंत्री गिरिराज डंडोतिया (Minister Girraj Dandautiya) चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में करीब 18 हजार से अधिक मतों से जीते थे।
क्या है खास : दंडोतिया का मुकाबला यहां उनके साथ कांग्रेस में रहे चिरपरिचित प्रतिद्वंदी रविंद्र सिंह तोमर (Ravindra Singh Tomar) से हो रहा है। दो बार दोनों आमने सामने आ चुके हैं।
मेहगांव : यहां से नगरी विकास व आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदोरिया (OPS Bhadauria) चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में करीब 25 हजार से अधिक मतों से जीते थे।
क्या है खास : भदोरिया का मुकाबला यहां से उनके साथ कांग्रेस में रहे युवा हेमंत कटारे (Hemant Katare) से हो रहा है। हेमंत पहले अटेर क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं।
ग्वालियर : यहां से ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर (Praduman Singh Tomar) चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में करीब 20 हजार से अधिक मतों से जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) को चुनाव हराकर चुनाव जीता था।
क्या है खास : तोमर का मुकाबला यहां उनके साथ कांग्रेस व कभी सिंधिया समर्थक रहे सुनील शर्मा (Sunil Sharma) से हो रहा है।
डबरा : यहां से कैबिनेट मंत्री इमरती देवी (Cabinet Minister Imarti Devi) चुनाव लड़ रही है। 2018 में करीब 56 हजार से अधिक मतों से जीती थी।
क्या है खास : इमरती देवी का मुकाबला यहां भाजपा से कांग्रेस में आए सुरेश राजेश से होगा। सुरेश राजे (Suresh Raje) रिश्ते में उनके संबंधी भी हैं।
पोहरी : यहां से लोक निर्माण राज्यमंत्री सुरेश धाकड़ (Suresh Dhakad) चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में करीब 8 हजार से अधिक मतों से जीते थे।
क्या है खास : धाकड़ का मुकाबला यहां उनके साथ कांग्रेस में सालों सहयोगी रहे हरीवल्लभ शुक्ला (Harivallabh Shukla) से हो रहा है।
इन दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा लगी है दाव पर
शिवराज सिंह चौहान : उप-चुनाव प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद के लिए भी महत्वपूर्ण है। यदि भाजपा अछि सीट जीती है तो फिर वह पद पर रहेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) के सुमावली विधानसभा में जाने के कार्यक्रम इसलिए अधिक बन रहे हैं क्योंकि पीएचई मंत्री ऐदल सिंह कंसाना उन्हीं के माध्यम से कांग्रेस में आए थे। साथ ही ऐदल सिंह के विरोध में अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह क्षेत्र में सक्रिय हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर : केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Central Minister Narendra Singh Tomar) ग्वालियर चंबल से भाजपा के बड़े नेता है साथ ही मुरैना उनके अधिक प्रभाव वाला क्षेत्र है। 2018 में उनके सक्रिय होने के बाद भी भाजपा को एक सीट नहीं मिली थी। साथ ही सबसे अधिक प्रभाव वाली सीट अंबाह व दिमनी भी 2013 से भाजपा हार रही है, इसलिए भी इन की प्रतिष्ठा दांव पर है।
वीडी शर्मा : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP State President VD Sharma) मुरैना के रहने वाले हैं, इसलिए ग्वालियर के अलावा मुरैना की सीट को लेकर उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है। खासतौर से उनका गांव दिमनी क्षेत्र में आता है, इसलिए दिमनी में सीट को लेकर अधिक भार है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया : कांग्रेस सरकार को गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के समर्थक 13 में से 11 सीटों पर है, इनमें छह मंत्री भी है। इसलिए चुनाव उनके लिए खास है। उनके समर्थकों की सफलता और विफलता भाजपा में उनके कदवा क्षेत्र में उनके प्रभाव को तय करेगी।