बजरंग पुनिया से गोल्ड की उम्मीदें बरकरार, ओलंपिक कुश्ती के सेमीफाइनल में पहुंचे।

Gaurav Sharma
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खेल, डेस्क रिपोर्ट। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo olympic) में आज का दिन फिर एक बार उम्मीदें लेकर आया है। कुश्ती में 65 किलोग्राम वर्ग के क्वार्टरफाइनल में ईरानी पहलवान को धूल चटाकर भारतीय रेसलर बजरंग पुनिया (Indian wrester Bajrang Punia) ने सेमीफाइनल में प्रवेश किया। आपकी बता दें की सेमिनफिनल में पुनिया का मुकाबला अज़रबैजान (Azerbaijan) के हाजी अलियेव (Haji Aliyev) के साथ होगा।

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जहां एक और पुनिया ने ओलंपिक में जीत दर्ज कर देश के लिए मेडल लाने की उम्मीदों को बरकरार रखा वही दूसरी ओर रेसलर सीमा बिसला (Seema Bisla) को ट्यूनीशिया की सारा हम्दी (Sara Hamid of Tunisia) के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

बजरंग पुनिया से गोल्ड की उम्मीदें बरकरार, ओलंपिक कुश्ती के सेमीफाइनल में पहुंचे।

पुरुष हॉकी के ब्रोंज मेडल जीतने के बाद भारतीय महिला हॉकी (Indian women hockey) टीम से भी ब्रोंज पदक की उम्मीद लगाई जा रही थी, पर ग्रेट ब्रिटेन के साथ हुए मुकाबले में भारतीय टीम को 3–4 से हार का सामना करना पड़ा।

रेसलर बजरंग पुनिया का सेमीफाइनल मुकाबला 2:45 से शुरू होगा।आपको यह जानकर हैरानी होगी की सेमीफाइनल में उनके खिलाड़ी खेल रहे हाजी अलियेव तीन बार के वर्ल्ड चैंपियन हैं (Three time world champion) । अगर पुनिया मुकाबले को जीतते हैं तो देश के लिए वो एक मेडल और पक्का कर देंगे।अब तक भारत की झोली में कुल 5 मेडल आए हैं जिनके एक सिल्वर और 4 ब्रोंज हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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